Haqiqat by Lovely Sharma
कुछ ख्याल है दिल में,
कुछ जज्बात है दिल में,
सवाल है, कुछ रब से भी है,
कुछ खुद से भी है…
चलते चलते एक राह अनजानी हो गयी…
खवाबों की जैसे अपनी कहानी हो गयी…
मगरूर बना फिरता है कोई शहज़ादा,
माशूका उसकी किसी और की रानी हो गयी…
फरेबी धड़कनो से ना बच पाए,
देखो ख़राब दिल की पासवानी हो गयी….
और रुखसत कर रहा है हर परिंदा बदलते आसमान को देख,
हिजरत में देख कितनी आसानी हो गयी….
क्या क्या देख लिया और क्या क्या बचा है,
बेकार अल्लाह मेरी जवानी हो गयी…
पागल कहा कभी किसी ने तो कभी कभी कहा अनाकमारा,
पेचीदा बड़ी ये मुट्ठी भर जिंदगानी हो गयी…
चलते चलते एक राह अनजानी हो गयी…
खवाबों की जैसे अपनी कहानी हो गयी…
Comments
Post a Comment
Thank You for Your Comment