Naa Chhuaa Usey Naa Jaane Diya by Kanha Kamboj
ना छुआ उसे ना जाने दिया….
ना करीब गए ना उसे आने दिया…
हम इश्क़ में थे, पर थे खुदगर्ज़ भी,
ना वस्ल में गए, ना चराग जलाने दिया….
हिज्र में एक रात मैं ऐसे टाल देता हूँ….
मैं खुद को जैसे सदमे में डाल देता हूँ…
तेरे मासूम चेहरे पे एक नूर लगाना है,
सो तेरे कानो में माँ के झुमके डाल देता हूँ…
तुम्हारा हर जख्म हम गंवारा कहते है…
है यही सच लो हम दोबारा कहते है…
नहीं मिलना तो जान साफ़ कह दीजिये,
नज़र झुकाने को तो हम इशारा कहते है…
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