Tu Ek Baar Ladka Bankar to Dekh by Rachna Rajasthani
लाड प्यार से ज्यादा, जिम्मेदारियों का पाठ पढ़ाया जाता है…
कितनी मुश्किल से कमाते है पैसा, बचपन से यही सिखाया जाता है…
तू लड़का है, तू किसी भी हाल में रो सकता नहीं…
खिलौना टूटे या दिल, तू पलके भिगो सकता नहीं…
तुझे हर जख्म हर घाव को छुपाना पड़ेगा…
कुछ भी हो दुनिया के सामने मुस्कुराना पड़ेगा…
तू अपने ही आसुओं का स्वाद चखकर तो देख…
तू एकबार लड़का बनकर तो देख…
जिसपल जवानी की दहलीज़ पर तू पहला कदम बढ़ाएगा…
अपने खर्चे खुद उठाने का तुझे फरमान सुनाया जायेगा…
तू चाहे डॉक्टर बन, इंजीनियर बन, या कोई व्यापार कर…
बस पच्चीस तक आते आते अपने करियर को साकार कर…
फिर शादी करनी है, बच्चे पालने है, घर परिवार चलाना है…
कबतक लड़कपन करता रहेगा, ये गर्लफ्रेंड के चक्कर से बाहर भी तो आना है…
बीवी जॉब करेगी या हाउसवाइफ बनेगी, ये उसका अपना फैसला है…
तुझे तो लेकिन हर हाल में अपना घर चलाना है…
तुझे कुछ हो गया तो तेरे परिवार का क्या होगा…
तू सुबह शाम, दिन रात अपनों की चिंता में मरके तो देख…
तू एकबार लड़का बनकर तो देख…
कभी माँ के तानो से बीवी का दिल दुखता है….
कभी बीवी के कारनामो से माँ का कलेजा फटता है…
कभी कभी माँ सही होती है बीवी नहीं…
पर हमेशा बीवी गलत हो, जरुरी तो नहीं…
एक के दिल का नूर है तू, दूजी की मांग का सिन्दूर है तू…
अरे दिन भर की थकन से खुद कितना चूर है तू…
तू चक्की के दो पाटो में गेंहू सा पिसके तो देख…
तू एकबार लड़का बनकर तो देख…
तुझे अपना अपने परिवार का भविष्य देखना है…
खूब पैसे कमाने है, क्या कैसे, ये सब तुझे ही देखना है…
तू देख पायेगा माता पिता को इस उम्र में काम करते हुए…
या देख पायेगा तू बीवी बच्चों को अभाव में पलते हुए…
तू दिन रात सुबह शाम यूँ जरूरतों की भट्टी में जलकर तो देख…
तू एकबार लड़का बनकर तो देख…
तू मर्द है रो के दिखा सकता नहीं…
कितना भी टुटा हो अंदर से, तू आँसू बहा सकता नहीं…
तुझे राम बन मर्यादा पुरषोत्तम कहलाना पड़ेगा…
ना चाहते हुए भी सीता को ठुकराना पड़ेगा…
तुझे कृष्ण बन प्रेम का राग सुनाना पड़ेगा…
मन में बसी है राधा तो क्या, तुझे रुक्मणि संग घर बसाना पड़ेगा…
तू अपनी ही इच्छाओ पे, आदर्शो का चोला पहनकर तो देख…
तू एकबार लड़का बनकर तो देख…
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