Juli A Real story by Shubhashish Pandey

Juli A Real story by Shubhashish Pandey


Juli A Real story by Shubhashish Pandey

 

जमाने के सितम ने कर दिया बहुत बुरा हाल है

इंजीनियरिंग कॉलेज में जूली का ये चौथा साल है

यूँ तो क्लास में टीचर एंट्री देते नहीं इसे,

पर - क्लास करके जूली ने मचाया काफी बवाल है

कहाँ साल भर प्रिप्रेशन करने के बाद लड़के एडमिशन लेने आते हैं

और फिर रहने के लिए हॉस्टल का एक ट्रीपल सीटर रूम पाते हैं

पर जूली ने तो बचपन से ही हॉस्टल में अपनी मनमानी चलायी है

किसी ट्रिपल सीटर में दिन तो सिंगल सीटर में रातें बिताई है

वार्डेन महीनों में कभी चेक करे ये बड़ी बात हैं

पर जूली कमरों में झांकती हर रात हैं

दरवाजा बंद है तो अगले पे जाती है

गर खुला मिल जाये तो बिस्तर पे आराम फरमाती है

इतना ही नहीं जूली ने और भी कई गुल खिलाये हैं

चंगु-मंगू नाम के दो बच्चे अपने गुलशन में उगाये हैं

पर आजकल जूली घूमती तन्हा अकेली है

उसके बच्चो का पिता कौन है ये अबुझ पहेली है

हमारे पड़ोस वाले गुप्ता जी नशे में मस्त रहते हैं

इनकी बक-बक से पूरे हॉस्टलवासी त्रस्त रहते हैं

उस रात जूली उनके कमरे में सोई थी

अपने टाइगर के खयालो में जाने कहाँ खोई थी

इतने में गुप्ता जी नशे में अन्दर आये

और जूली की बाहों में बिस्तर पर रात बिताये

सुबह जब आँखे खुली तो गलती का एहसास था

तन्हाई के सिवा अब कुछ नहीं जूली के पास था

तब से वो पतला कुत्ता टाइगर भी साथ नहीं रहता है

वो भी ज़माने की तरह जूली को बेवफा कहता है

अरे माफ़ कीजीयेगा…. जूली का परिचय देना तो भूल गया

यूँ तो AKGEC के ब्वायेस हॉस्टल में इसे किसी परिचय की जरुरत नहीं

पर जूली नाम की ये आवारा कुतिया जरा भी खूबसूरत नहीं

पर जूली का हॉस्टल से प्यार देखते हे बनता है

साल में कई मौको पे इसका का बैर्थ-डे मनता है

दर-असल जब भी जूली किसी का बर्थ-डे के खा जाती है

तो बर्थडे बॉय की बर्थडे बमप्स में लातें भी पाती है

अरे एक बार तो मेरे आँखों के सामने हे पूरा हंगामा खडा था

गलती से जूली छत पे बंद क्या हुई सारा होस्टल ताले पे जुटा पड़ा था

थोडी देर में ताला टुटा तो लोगो की जान में जान आई

ये बात और है की थोडी हे देर में जूली फिर कई लातें खाई

जूली नाक में दम कर देती है अच्छे-अच्छो की

कहानी पे यकीं कर लो कसम तुम्हे जुली के बच्चो की

 

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