Andar Se Nahi Marna Hai by Jai Ojha

Andar Se Nahi Marna Hai by Jai Ojha


Andar Se Nahi Marna Hai by Jai Ojha

 

कोरोना वायरस बेशक एक खतरनाक बीमारी है और हम सब को इससे सावधान रहना चाहिए लेकिन मैंने खुद ऐसे कई मरीजों को ठीक होते देखा है जिन्होंने इस वायरस के खिलाफ हार नहीं मानी, ऑक्सीजन लेवल गिर जाने के बावजूद, बुरी तरह से लंग्स डैमेज हो जाने के बावजूद, उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण रखा और अपनी अटल जिजीविषा के चलते वे पूरी तरह ठीक हुए और दूसरी और डॉक्टर्स ने ऐसे भी कई मरीजों को देखा है जो अस्पताल आये तब पूरी तरह ठीक थे लेकिन उन्होंने मान लिया कि चूँकि वे संक्रमित हो चुके है तो अब वे नहीं बचेंगे और वे नहीं बचे। बड़े बड़े चिकित्सक लगातार ये दावा करते आये है कि इस बीमारी से नब्बे प्रतिशत तक लोग घर पर रहकर ही ठीक हो जाते है और रोजाना हो भी रहे है लेकिन टीवी और सोशल मीडिया पर लगातार इस वायरस के भयावह रूप को दिखाया गया है और फैलाया गया है जो सच है लेकिन एकतरफा है। जिसके चलते देश में भय और त्रासदी का माहौल हो गया है और अब ये भय इस वायरस से ज्यादा मौतों का कारण बन रहा है। ये उन लोगो की भी जान ले रहा है जिनका शरीर तो इस वायरस से लड़ने में सक्षम है लेकिन उनका मन परास्त हो गया। मेरी ये कविता तमाम कोरोना मरीजों को यकीन दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है कि उनकी इच्छाशक्ति इस वायरस से जंग हार सकती है क्योंकि इस वायरस से आधी जंग आप वहीं जीत लेते है जब आप अंदर से जीने का फैसला करते है।

 

इम्तेहान इस बात का नहीं को कौन मरेगा, कौन जियेगा…

इम्तेहान इस बात का है कि कौन कितनी शिद्दत से लड़ेगा….

 

मौत से अगर जंग हो तो आखिरी दम तक लड़ना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 

जब दम तुम्हारा घुटने लगे, जब प्राण हाथ से छूटने लगे…

जब वजन ह्रदय पे लगने लगे, जब बदन तुम्हारा थकने लगे…

तो ठीक उसी वक़्त जोर लगाकर पूरा अपना, अगली श्वास को भरना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 

यकीन मनो मौत से ज्यादा जीवन तुम्हे पुकार रहा है…

यकीन मनो इस वायरस से ज्यादा भय का वायरस मार रहा है…

तो तुम भी देखो दर की आँखों में, और कहो मुझे तो हर हाल में जीना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 

हाँ जलती चिताये दिखा रही है, ख़बरें बेशक डरा रही है…

सूनी है सड़कें भी बाहर, दुनिया जैसे मातम मना रही है…

सबकुछ सच है लेकिन देखो तुम जिन्दा हो इस वक़्त अभी, शुक्रिया इसी बात का करना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

और इस वायरस से तो तुम जीतोगे, बस डर, निराशा, भय, मायूसी, इनको परास्त करना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 

इंसान की ताक़त के आगे कौनसा वायरस टिक पायेगा…

आज नहीं तो कल फिर ये शमा फिर रोशन हो जायेगा…

मुश्किल दौर में हमको बस, हाथ थाम के चलना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

और जीवन की जब हर जंग जीत ली हमने, तो इस वायरस से क्या डरना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 

जीवन की अनिश्चितताएं ये जीवन हमको सीखा रहा है…

प्राण वायु की कीमत इंसान को मुश्किल सांसो के जरिये बता रहा है…

और यही सबक है कि चलती हर एक साँस पे अबसे, रब का सुमिरन करना है…

चाहे जो हो जाये दोस्त, अंदर से नहीं मरना है…

 



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