Naari Tum Shakti Ho by Lovely Sharma
ना मर्यादा का राम बचा, ना संस्कारो का रावण…
ना कान्हा आयो, चीर बढ़ायो, ना तांडव हुआ उस आँगन…
ना ही चंडी, ना ही जवाला, ना ही आदि भवानी आयी…
झांक के देखा भीतर तो हर घर में थी निर्भया समायी…
कुत्ता जैसे हड्डी को, चील चबाये मांस को,
कुछ यूँ मेरी जिस्म को रौंदा गया…
एक ने नोचा एक ने दबोचा,
जानवरो के बीच से रूह को खंगाला गया…
बेरंग गयी है होली इस बरस की,
दिवाली पे दिए जलाने आ जाना…
रश्में अधूरी तुम बिन सारी करवाचौथ की,
रमज़ान का चाँद दिखाने आ जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
झूठ है जो आशीर्वाद सदा सुहागन के, उन्हें सच बनाने आ जाना…
श्रृंगार कर दिया दान मैंने चिता में, मुझे चूड़ी नई पहना जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
अभागन बोलती है मुझे दुनिया सारी, अपनी शहीद गाथा सुना जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
राते जागती है अब भी मेरे साथ, उन्हें अपनी गोद में सुला जाना…
सुबह अगर ढूंढे सुकून को, उसे अपना पता बता जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
मुझपे नहीं सम्भलते अब सवाल, पापा कहाँ है उन्हें बता जाना…
माँ खाना नहीं खाती अब, उन्हें दो निवाले खिला जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
वादा किया था तो जल्दी आऊंगा…
माँ के लिए शाल और तेरे लिए साडी लाऊंगा…
बाबा अभी जवान है तो उनकी लाठी मैं खुद बन जाऊंगा…
लाड़ली की डोली भी मैं अपने हाथो से सजाऊंगा…
कुछ कसमें अधूरी है तुम्हारी, उन्हें पूरा करने आ जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
फीके पड़ गए है फूल सारे, उन्हें अपने जैसे महका जाना…
सो जाऊ जो इस बार मैं, कोई ऐसी लोरी सुना जाना…
जब आऊं मैं तेरी कब्र पे रोने, एक बार उठकर चुप करा जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
गर्व से हूँ मैं शहीद की विधवा, एक बार फिर से वीर सुहागन बना जाना…
कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने आ जाना….
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