Tujhe Dard Dun Tu Naa Seh Sake by Yousuf Bashir Qureshi

Tujhe Dard Dun Tu Naa Seh Sake by Yousuf Bashir Qureshi


Tujhe Dard Dun Tu Naa Seh Sake by Yousuf Bashir Qureshi

 

एक सोच अक्ल से फिसल गयी…

मुझे याद थी के बदल गयी…

मेरी सोच थी के ख्वाव था…

मेरी जिंदगी का हिसाब था…

मेरी जुस्तजू के बरक्स थी…

मेरी मुश्किलो का वो अक्स थी…

मुझे याद हो तो वो सोच थी….

जो ना याद हो तो गुमांन था…

मुझे बैठे बैठे गुमां हुआ…

गुमां नही था खुदा था वो…

मेरी सोच नही थी खुदा था वो…

वो खुदा कि जिसने जुबान दी…

मुझे दिल दिया मुझे जान दी…

वो जुबां जिसे ना चला सके…

वो दिल जिसे ना मना सके…

वो जाँ जिसे ना लगा सके…

कभी मिल तो तुझको बताये हम…

तुझे इस तरह से सताये हम…

तेरा इश्क तुझसे छीन के,

तुझे मेय पिला कर रुलाये हम…

 

तुझे दर्द दू तू ना सह सके…

तुझे दू जुबा तु ना कह सके…

तुझे दू मकां तु ना रह सके…

तुझे मुश्किलो मे घिरा के मै,

कोई ऐसा रस्ता निकाल दू…

तेरे दर्द की मै दवा बनू…

किसी गरज के मै सिवा बनूं

तुझे हर नज़र पर उबूर दू

तुझे जिंदगी का सहूर दू

कभी मिल भी जाएंगे तो गम ना कर

हम गिर भी जाएंगे तो गम ना कर

तेरे नेक होने में कोई शक नहीं,

मेरी नियतों को तू साफ कर

तेरी शान में भी कमी नहीं,

मेरे इस कलाम को माफ कर…




Comments