Kuch To Toota Hai Dil Ke Andar by Lovely Sharma

Kuch To Toota Hai Dil Ke Andar by Lovely Sharma


Kuch To Toota Hai Dil Ke Andar by Lovely Sharma

 

ज़िन्दगी जज्बातों की जंग है साहिब,

उम्मीदें तू सबसे लगाता क्या है

वो आज है पर वो कल ना रहेगा,

जख्म--दिल से तू घबराता क्या है

और हर कोई नहीं है यहाँ अच्छा सुनो,

तू सबकी बातों में आता क्या है

दर्द को कुरेदना यहाँ आम है पागल,

तू अपनी आँख को जलाता क्या है

और ख़ुशी का वास्ता देकर छोड़ा जिसने,

उसके गमो को दिल से लगाता क्या है

और था जरुरी वो क्या इतना बता,

हर दिन अपनी राख उठाता क्या है

और आज अभी तू कर दे सिलसिला ही खत्म,

रोज़ मरता है आखिर माजरा क्या है

जिंदगी जज्बातों की जंग ही तो है,

उम्मीदें तू सबसे लगाता क्या है

और हर कोई नहीं है यहाँ अच्छा सुनो,

तू सबकी बातों में आता क्या है

 

 

कुछ तो टूटा है इस दिल के भीतर जो इतना चुभ रहा है

जख्म गहरा ही होगा शायद, जो आँखों से खून बह रहा है

और मैं अपनी कहानी में नायक भी था और दुश्मन भी,

तभी तो हर इलज़ाम मेरे सर हो रहा है

और ऐसा लगता है मैं किसी तमाशे का ही हिस्सा हूँ,

तभी तो खुदा भी मुझे रोता देखकर हंस रहा है

और मैं जिससे भी गया अपने गमो को बांटने,

हर कोई अपने गम मेरे हवाले कर रहा है

और अभी तो उठा भी नहीं देखो ज़नाज़ा मेरा,

फिर क्यों हर कोई मुझे अच्छा आदमी कह रहा है

और ये कैसा शोर है बहार चौराहे पे देखो ज़रा,

क्या अभी से मेरे मरने का जश्न हो रहा है

कुछ तो टूटा है इस दिल के अंदर जो इतना चुभ रहा है

जख्म गहरा ही होगा शायद, जो आँखों से खून बह रहा है

 



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