Zindagi by Lovely Sharma

Zindagi by Lovely Sharma


Zindagi by Lovely Sharma

 

ज़िन्दगी जज्बातों की जंग है साहिब,

उम्मीदें तू सबसे लगाता क्या है

वो आज है पर वो कल ना रहेगा,

जख्म--दिल से तू घबराता क्या है

और हर कोई नहीं है यहाँ अच्छा सुनो,

तू सबकी बातों में आता क्या है

दर्द को कुरेदना यहाँ आम है पागल,

तू अपनी आँख को जलाता क्या है

और ख़ुशी का वास्ता देकर छोड़ा जिसने,

उसके गमो को दिल से लगाता क्या है

और था जरुरी वो क्या इतना बता,

हर दिन अपनी राख उठाता क्या है

और आज अभी तू कर दे सिलसिला ही खत्म,

रोज़ मरता है आखिर माजरा क्या है

जिंदगी जज्बातों की जंग ही तो है,

उम्मीदें तू सबसे लगाता क्या है

और हर कोई नहीं है यहाँ अच्छा सुनो,

तू सबकी बातों में आता क्या है

 



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