Jab Tak Hai Jaan Poem by Shah Rukh Khan
तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ…
तेरी हंसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ…
तेरी ज़ुल्फ़ों की लहराती अंगड़ाइयां नहीं भूलूंगा मैं…
जब तक है जान, जब तक है जान…
तेरा हाथ से हाथ छोड़ना…
तेरा सायों से रुख मोड़ना…
तेरा पलट के फिर न देखना नहीं माफ़ करूँगा मैं…
जब तक है जान, जब तक है जान…
बारिशों में बेधड़क तेरे नाचने से…
बात बात पे बेवजह तेरे रूठने से…
छोटी छोटी तेरी बचकानी बदमाशियों से मोहब्बत करूँगा मैं…
जब तक है जान, जब तक है जान…
तेरे झूठे कस्मे वादों से…
तेरे जलते सुलगते ख्वाबों से…
तेरी बे-रहम दुआओं से नफरत करूँगा मैं…
जब तक है जान, जब तक है जान…
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