Meri Zindagi Me Vo Jaan Bankar Aa Gaya By Lovely Sharma | Valentine’s Day Special
तीरगी सी भरी ज़िन्दगी में सवेरा बनकर आ गया…
भटके हुए मुसाफिर का बसेरा बनकर आ गया…
कब्र में पड़ी लाश थी मानो, वो सांसो का सहारा बनकर आ गया…
और कौन कहता है कि रब दिखता नहीं है,
मीरा की ज़िन्दगी में वो श्याम बनकर आ गया…
अलिफ़ से ये तक मोहब्बत की पहचान बनकर आ गया…
कार-ए-सवाब का जवाब बनकर आ गया…
होली में गुलाल दिवाली में चिराग बनकर आ गया…
मेरी मेहंदी में रंग तो ईद का चाँद बनकर आ गया…
मेरी ज़िन्दगी में वो जान बनकर आ गया…
कौन कहता है कि प्यार मिलता नहीं है,
सिया की चौखट पे वो राम बनकर आ गया…
मौला के सदके में फ़िक्र हज़ार बनकर आ गया…
डूबती हुई कश्ती की इमदाद बनकर आ गया…
तसव्वुर में थे जो महज़, सदाकत में सर्फ़ का आसमान बनकर आ गया..
और कौन कहता है कि यादें सदा रहती नहीं है,
अजूबो की गिनती में वो ताज बनकर आ गया…
मुसीबतों के सामने वो दीवार बनकर आ गया…
रूठे से आसमान में पंखो की उड़ान बनकर आ गया…
हिज़्र की तड़पन में प्रीतम का पैगाम बनकर आ गया…
मंजिल-ऐ-मौत तक हमसफ़र का नाम बनकर आ गया…
बैचैन रातों में सुकून की मज़ार बनकर आ गया…
और कौन कहता है कि प्यार गिना नहीं जा सकता,
ढाई आखर में वो मेरी पूरी कहानी बनकर आ गया….
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