Dost Bankar Rehte Hai Na Dost by Kanha Kamboj
गर एकतरफा ही हम तुमपर मरते रहेंगे…
तो जान ऐसा हम कब तक करते रहेंगे…
दोस्त बनकर रहते है ना दोस्त,
आशिकी में तो हम तुम मरते रहेंगे…
बेशक रहेंगे तेरे क़दमों में हम,
ज़माने के तो हम सर पर चढ़ते रहेंगे…
कहीं आँख ही ना बह जाये आसुओं में,
बेहतर पागल ही कर दो, मुसलसल हँसते रहेंगे…
क्यों सुने किस्से मोहब्बत के फिर,
जब हर कहानी में आशिक ही मरते रहेंगे…
आपको बस ही से है मोहब्बत,
आप ये कहने में कब तक डरते रहेंगे…
तू हर दफा अपनी चला, बस कर…
मुझे सबसे ज्यादा ये खला, बस कर…
चीखते रहे तेरा नाम तूने ना सुना,
फिर चीख उठा मेरा गला, बस कर…
मैं बेहया, बेरहम, बेगैरत,
अब कुछ और ना कह भला, बस कर…
तुम चाहती हो हम भी हो जाये बेवफा,
नहीं सीखनी तुमसे ये कला, बस कर…
तुम्हारा हर जख्म हम गवारा कहते है…
है यही सच लो हम दोबारा कहते है…
नहीं मिलना तो जान साफ़ कह दीजिये,
नज़र झुकाने को तो हम इशारा कहते…
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