Usne Kaha Kanha Hai Bechara Pagal by Kanha Kamboj
तुम्हारा हर जख्म हम गवारा कहते है…
है यही सच लो हम दोबारा कहते है…
नहीं मिलना तो जान साफ़ कह दीजिये,
नज़र झुकाने को तो हम इशारा कहते…
देखो है कितना बेचारा पागल…
दर बदर भटकता है बेसहारा पागल…
एक बार को तो आया तरस मेरी हालत पर,
फिर उन्होंने कहा मुझे दोबारा पागल…
अभी ना तक पैर पानी की सतह पर,
अभी तो बहुत दूर है किनारा पागल…
हमने खत में लिखा हाल ऐ दिल अपना,
और उस खत के आखिर में लिखा तुम्हारा पागल…
मैं चाहता था किस्से इश्क़ के मशहूर हो,
किसे करना था यहाँ बस गुजारा पागल…
वो तो गाँव में है फिर ये किसने,
उसकी आवाज में हमें पुकारा पागल…
अब तो ज़ेहन तक से पागल हो गया है कान्हा,
अब तो क्या ही बनाओगे तुम हमारा पागल…
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