Shree Ram Ki Babar Se Tulna Mat Karna by Monika Singh
एक वनवास दिया कैकयी ने, एक हम तुम ने था दिया हुआ…
जब उन्ही की जन्म भूमि में था कैद उन्ही को किया हुआ…
अपने ही घर में थे बंधी श्री राम लला कई वर्षो से…
हर हिन्दू व्याकुल था मन ही मन, था आक्रोश कई अरसो से….
सदियों से चल रहे द्वेष में ना जाने कितने कत्लेआम हुए…
वो जिन कर्मो से कहलाये थे श्रीराम, हमसे वो सारे कर्म नीलाम हुए…
सबरी के झूठे बेरों को जिसने बड़े प्यार से खाया था…
ना धर्म देखा ना जाति देखी बस प्रेम को उसने अपनाया था…
माता की आज्ञा को जिसने सर्वाधिक सम्मान दिया….
हसकर राजपाठ सब त्यागा वर्षो का वनवास लिया…
राम ना सत्ता के अभिलाषी, ना इंसानो में भेद किया…
सारी दुनिया कुटुंब सामान है, जन जन को सन्देश दिया…
राम आचरण, राम आवरण, राम त्याग एक परिभाषा है…
हर हिन्दू जिन पदचिन्हो पे चलना चाहे, राम ऐसी अभिलाषा है…
ना बैर हमे है मुस्लिम से, ना मस्जिद से कोई द्वेष है…
बस तुलना ना होगी राम की बाबर से, बस ये सीधा सा सन्देश है…
जहाँ मंदिर मस्जिद संग संग में हो, चलो एक ऐसा भारत निर्माण करे….
हिन्दू शीश झुकाये मस्जिद में और मुसलमान राम को प्रणाम करे…
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