Dil Hai Tere Baap Ki Jagheer Nahi by Karan Gautam
तुझसे ज्यादा खुबसूरती है उसमें,
बस तु कुबुल करने से कतरा रहा है…
जान जरा छत पर आना,
ये चाँद कुछ ज्यादा ही इतरा रहा है…
मंदिरो से अजान की आवाज आ रही है,
मस्जिदो में झूम कर भजन बज रहे है…
कही आयत पढ रहा है कोई राम नाम का लडका,
कही मौलवी के हाथो में रे कान्हा सज रहे है…
बता मत उसे,जता मत उसे, इजहार मत कर ,बस प्यार कर…
इश्क सच्चा है तेरा,वो तुझे खुद मिल जायेगा सब्र कर थोडा इंतजार कर…
अब आधे ही फूल बचे है बगीचो मे, आधा बगीचा मेरी राहो मे है…
आसमां को भी कुबुल है आधा चाँद उसका, क्योकि आधा मेरी बाहो में है…
मन्नते तो माँग कर देख ली खुद के लिए, चलिए अब बद्दुआ माँग लेते है…
टूटते हुये तारे के दर्द से लोगो को फर्क नही पड़ता,
खुदगर्जो की तरह आँखे बंद करते है और दुआ माँग लेते है…
हमारे चेहरे पर अगर झूठी मुस्कान भी आये,
तो उसके अंदर का दर्द सिर्फ तुम पेहचानती हो…
यु तो जमाना जानता है मै शायरियाँ लिखता हु,
पर शायरियाँ मुझे लिखती है सिर्फ ये तुम जानती हो…
अपनो से दगा कर लो,या सपनो से दगा कर जाऊ मै…
ये कौन सा खुदा सुनेगा मेरी किसको ढुंढु किसके दर जाऊ मै…
इस नन्ही सी जिंदगी मे बस दो पल ही जीना है मुझे,
और आप चाहते है भुला दु सपनो को और आ ही मर जाऊ मै…
ना सिर्फ कागज कलम तुझे लिखने के लिए ये रातें भी जरूरी है…
इक तस्वीर के सहारे और कितने दिन गुजारुगा भला,
अब जिंदा रेहने के लिए कुछ मुलाकाते भी जरूरी है…
अब रुतबा थोडा ऊँचा कर लिया है,
और तु वापस आये मेरी जिंदगी में, ये तेरी तकदीर नही है…
मै तो मर गया था कब का रांझाँ बन के,पर तु कोई हीर नही है…
और फिर तुझे लाऊ तुझे जिंदगी में तडपाऊ दिल इस कदर बार बार,
दिल है तेरे बाप की जागीर नही है…
जिस जाम से तुम पी रहे हो,
उससे कभी हम पीया करते थे…
जिन आँखो में,तुम्हे तुम्हारी दुनिया नजर आती है,
उस दुनिया में कभी हम जिया करते थे…
आज बेहद खुश है हम,ये रेहम है मेरे खुदा का मुझ पर,
वरना हम खुदा की कसम भी,
उनके सर पर हाथ रख कर लिया करते थे…
तो क्या वो इश्क था…
क्युकि कभी जो नजरे मेरा रास्ता देखा करती थी…
मुझे ही देखकर जीती मरती थी…
आज वही नजरे किसी ओर की नजरो मे देखकर,
प्यार का इजहार कर रही है क्या वो इश्क था…
क्योकि जो जिस्म मेरी बाहो मे आने को तरसता था…
मेरे जरा से डाट देने पर उसकी आखो से बादल सा बरसता था…
आज वही जिस्म किसी ओर की बांहो में है, ओर आज भी मै उसे भूला नही…
क्योकि आज भी वो चेहरा मेरी निगाहो मे है, तो क्या वो इश्क था…
क्योकि कभी जिन पलको का सवेरा तब तक नही होता था…
जब तक वो हमारा दीदार ना करती थी…
कही उसकी जरा जरा सी नादानियो से तंग आकर मै उसे छोड ना दू,
इस बात को लेकर हर पल डरती थी…
आज उसकी हर सुबह की वजह,
सूरज की कुछ किरणे किसी ओर शक्स का चेहरा बन गया है…
तो क्या वो इश्क था…
क्योकि कभी तुम मुझ मे अपनी बाहे डाल कर,
मेरी बाइक की पिछली सीट पर बैठा करती थी…
मेरे कंधे पर तुम्हारा सर होता था,
ओर तेज हवाये तुम्हारी जुल्फो को छूकर गुजरती थी…
पर ना जाने क्यो,हवाओ की वजाये तुमने अपना रुख मोड लिया…
तो क्या वो इश्क था…
तेरे आँन लाइन होने पर भी,
तेरे जबाब ना देने पर,ये समझ मै पल पल मर रहा था…
कही तू किसी ओर की तो नही होने जा रही थी,
इस बात को लेकर हर पल डर रहा था…
आखे आँसू बहा रही थी ओर मै दिल को बेहलाने का काम कर रहा था…
ये इश्क ही तो था…
अब दिल मेहफिलो से डरने लग गया है,
आखे किसी ओर से मिलने से पेहले पीछे हटती है…
खुदा तुझे भी एक दिन एसा दिखाये कि तुझे भी तो पता चले,
कि भिगे हुए तकिये पर रात कैसे कटती है?
कैसे छुप छुप कर रोया जाता है…
कैसे पलको के साथ साथ हाथो को भी भिगोया जाता है…
तुझसे इतना प्यार करते हुए भी,
तुझे तडपाने के बारे सोचकर आँखे भर तो आती है…
लेकिन मै भी क्या करू, जहाँ इतनी मोहब्बत होती है,
वहाँ हद से ज्यादा नफरत हो ही जाती है…
ए चाँद तुझे उन तारो से बेहद मोहब्बत है मै जानता हु…
आसमान ही तेरा घर है मै मानता हु…
पर मेहबूब से ये वादा कर चुका हु…
तुझेउसकी हथेली पर सजाने का दावा कर चुका हु…
पेहले भी कई कसमें वादे खाये है,
जिन्हे धीरे धीरे पुरा करुंगा…
मुकद्दर में बेशक कांटो भरी जिंदगी हो,
पर अब तेरे साथ ही मरुंगा…
पढा लिखा ना सही मै,
पर उनकी आँखे पढना बखुबी जानता हुँ…
शायद रब दिखता है,उनकी आँखो में हमें,.
या फिर रब को उनका चेहरा मानता हुँ…
ए चाँद तुझे उन तारो से बेहद मोहब्बत है मै जानता हु…
सिर्फ मोहब्बत ही नही उन से वो हमारी साँसे,धडकन,
तिनका तिनका बन गयी…
हमारी आदत, जरूरत, जान, जिंदगी, फलांना, ढिमका बन गय़ी…
हमारे हर साँस लेने पर वो हमारे रोम रोम से घूम कर आती है…
इसलिए सिगरेट नही पीते हम क्योकि सुना है सिगरेट से जान चली जाती है…
यारो के बिना पीने को कहे कोई, तो शायद पी लेंगे हम,
पर उनके बिना जीने को कहे कोई,तो मौत का रास्ता अच्छा है…
लाख झूठ बोले हो बेशक, पर प्यार करता हुँ और वास्ता ये सच्चा है…
ओरो की कहानियो की तरह ना तो तुम्हारे ओंठ गुलाब की पंखुडी है…
ना तो अदाओ में कोई शरारा है…
तुम तो कुदरत की बनायी गयी सोबर सी इक लडकी हो,
जिसेको जमीं पर सिर्फ मेरे लिए उतारा है…
हवाएं सुहानी लगती है,उनकी बाते रुहानी लगती है…
फिजाओ में कुछ जानी पेहचानी खुशबु जान पडती है तेरी साँसो की रवानी लगती है…
केहते है नाम लुंगा तो बदनाम हो जाओगी तुम,
पर सच कहु तो हर खुबसुरत मंजर में हमें सिवानी लगती है…
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