Ladki Hona Aasaan Nahi by Lalit Kumar

Ladki Hona Aasaan Nahi by Lalit Kumar


Ladki Hona Aasaan Nahi by Lalit Kumar

 

चला अँधेरे में तो पता चला, रौशनी से ही मुझमे उजाला था

और चला रौशनी में तो पता चला, मैं उस अँधेरे जैसा काला था

 

काफी नार्मल सी लाइन है, पापा की परी, पापा की परी,

पर उन परियों को सिर्फ एक घेरे तक ही उड़ने दिया जाता है..

कभी सोचा है, किसी लड़की से पुछा है, उन्हें कैसा लगता है,

जब तादाद में लड़कियों से जयादा लड़कों को पाया जाता है

उन्होंने कपड़ें तो खुद को सजाने के लिए पहने है,

वरना तो नजरों से ही उपवस्त्र कर दिया जाता है

वो जिंदगी--कारोबार भी अभी बंद नहीं,

जहाँ लड़कियों की सुबह चूल्हा चौका से और दिन ख़तम दो वक़्त की मार से होता है

कुछ लड़कियां मना लेती है खुद को,

घर परिवार जॉब काम धंधा करने के लिए,

पर कहीं कहीं तो लड़कियों का ही धंधा किया जाता है

कहावत बन गयी है कि साफ़ मन मायने रखता है

फिर ना जाने क्यों लड़कियों के बनावटी बदन को देख,

उनसे किये बर्ताव--सलीके में बदलाव जाता है

ये बात पक्षपात की है या कुछ और बात है

कोई लड़का अच्छा दिखे तो अच्छा है,

और कोई लड़की अच्छी दिखे तो वो वैरायटी ऑफ़ नजरों का अड्डा है

नवरात्रों के ख़ास नौ दिनों में माताओं की मूर्ति पे, मंदिरों की गुल्लकों में खूब पैसा इकठ्ठा होता है

और मिन्नतों से चढ़ाएं फल, दीये, फूल, सब बेकार ही तो जाता है

लेकिन ये फल गरीब घर की महिलाओं के व्रत तोड़ने के काम सकता है

क्योंकि गरीबों के पास खाने को खाना नहीं होता है

खाने की कमी का बहाना ही उन्हें साल में ना जाने कितने बार नौ नौ दिनों का व्रत रखवाता है

अजीब हंसी मजाक है, यहाँ हंसी मजाक में बहन***** इस्तेमाल किया जाता है

गलती उनकी क्या है, गलती ना हो फिर भी,

गलियों का घेरा अक्सर माँ बहन से लेकर माँ बहन पे आके रुकता है

शुक्र है मैं लड़का हूँ, क्योंकि लड़की होना आसान नहीं होता है

 

मैंने पेड़ की कम उसके अतीत किल्लियों की खूबसूरती के चर्चे सुनते देखा है

सहना समझना है तो पेड़ की कटती टहनियों को नवाजो जनाब,

क्योंकि मैंने कई जगह खुद काटकर फल बांटते देखा है




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