Ek Tarfa Pyaar By RJ Vashishth

Ek Tarfa Pyaar By RJ Vashishth


Ek Tarfa Pyaar By RJ Vashishth

 

आज मुझे भी कुछ हो रहा है..

तेरी नादानियों में अब ये दिल खो रहा है..

जानता हूँ कि मुझे तुमसे इश्क़ नहीं हुआ था..

लेकिन तेरी यादों में आज ये दिल रो रहा है..

तुम्हारे आज ना होने से मुझे कुछ यूँ हो रहा है..

की धड़क तो रहा है पर ये दिल वजह ढूंढ़ रहा है..

आज मुझे भी कुछ यूँ हो रहा है..

हाँ जानता हूँ की मैंने नहीं सुनी थी तुम्हारे दिल की वो आवाज़..

लेकिन अब उस आवाज़ को सुनने के लिए अब ये दिल तड़प रहा है..

आज मुझे भी कुछ यूँ हो रहा है..

हाँ मालूम है कि मैंने नहीं सुनी थी तुम्हारे दिल कि उस पुकार को..

लेकिन आज दिल तड़प- तड़प के तुम्हे ही पुकार रहा है..

आज मुझे भी कुछ यूँ हो रहा है..

तेरी नादानियों में अब ये दिल खो रहा है..

और एक सच बात बताऊ, आज मेरे साथ कुछ यूँ हो रहा है..

की कल तक तुम जो रो रही थी, उसका एहसास मुझे आज मालूम पड़ रहा है..

तुम्हारे ना होने से अब कुछ यूँ हो रहा है..

क्यूंकि मैं जानता हूँ कि अब तुम नहीं रही हो..

लेकिन फिर भी लफ्ज़ों के ज़रिये तुम्हे अब ज़िंदा रखा जा रहा है..

हसना आता है इस बात पे कि जब तक तुम थी..

तब तक कुछ ऐसा था कि तुम थी ही नहीं..

और आज तुम नहीं हो तो सवाल होता है कि क्यों नहीं हो..

फिर ये भी सवाल होता है कि जब तुम नहीं हो तो मैं नहीं हूँ, मैं क्यों नहीं हूँ..

इन लफ्ज़ों के ज़रिये तुम्हे ज़िंदा रख रहा हूँ ना..

उन यादो के ज़रिये खुद तो मर ही रहा हूँ ना..

हाँ शायद इसलिए मैं हूँ पर मैं नहीं हूँ..

और तुम नहीं हो फिर भी हो..

हार कर भी जीती तो तुम्ही हो..

पर मैं तो ना ही जीता, ना ही हारा, क्यों तुम पे नहीं वारा..

आज मुझे कुछ यूँ हो रहा है..

तुम्हारी नादानियों पे अब जाके मुझे इश्क़ हो रहा है..

आज मुझे कुछ यूँ हो रहा है...




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