Bin Fero Ke Suhagan by Lovely Sharma
बहुत खूब देता है रब ये मैंने सुना था,
सच कहूं तो अब मैंने रब से दुआ मांगना छोड़ दिया है…
क्योंकि रब ने मुझे तेरे रूप में रब दे दिया है…
मेरी महफिलों की शुरुआत तेरे चर्चों से हो गयी…
सच कहूं तो यारा तुझसे मोहब्बत बेहिसाब हो गयी…
तेरी यादें मेरे सपनो में शुमार हो गयी…
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरों के सुहागन हो गयी….
तुझ तक पहुंचे जो राह, मैं
उस राह की बंजारन हो गई…
तेरे इश्क़ में यारा, मैं
बिन फेरो के सुहागन हो गई...
पुजू तुझे नमाज़ की तरह,आरती के जैसे पढ़ा है..
मैंने अपनी हर सांस को तेरे नाम से सांस लेते सुना है…
मैं
रब की अरदास, मैं
अली की अज़ान हो गई…
मैं
हर पीर दरबार की भिखारन
हो गई…
तेरे इश्क़ में मेरे यारा मैं
बिन फेरो के सुहागन हो गई...
मैं गंगा सी पावन, मैं यमुना का बहता पानी हो गई…
बरसो बाद हो जो महासंगम उस संगम में रवानी हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
मैं
तेरी सारी बलाओं से तेरी रखवाली हो गई…
तेरे इश्क़ में यारा मैं
बिन फेरो के सुहागन हो गई...
सिया जैसे राम की, राधा बनी जो जैसे श्याम की…
शक्ति शिव की महारानी हो गई…
मैं
हर उस इश्क़ की कहानी हो गई…
बनाया ताज महल जिसने मैं
वो याद पुराणी हो गई…
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई...
ना
लाल लिहाफ को ओढ़ा मैंने, ना
गुलाल मांग में सजाया…
ना
ही कोई सूत्र गले में तेरे नाम का बंधवाया...
मैं
हर
बंधन
से
परायी
हो
गई…
तेरे इश्क़ में यारा में बिन फेरो के सुहागन हो गई...
मेरी दुआए तेरे सदके में इकरार हो गयी…
आम सी ज़िन्दगी में कुछ ख़ास सी पहचान हो गयी…
बंजर सी बस्ती में बहार, तेरी मोहब्बत से ऊँची मेरी उड़ान हो गयी…
तेरे इश्क़ में यारा में बिन फेरो के सुहागन हो गई...
Comments
Post a Comment
Thank You for Your Comment