Wo Apni Ankhon Mein Mere Ishq Ka Khawab Rakhte Hai by Goonj Chand

Wo Apni Ankhon Mein Mere Ishq Ka Khawab Rakhte Hai by Goonj Chand


Wo Apni Ankhon Mein Mere Ishq Ka Khawab Rakhte Hai by Goonj Chand


वो अपनी आँखों में मेरे इश्क़ का ख्वाब रखते है
थोड़े पागल है मोहब्बत को सरेआम रखते है
कह दो उनसे वो थोड़ा थो लिहाज़ करे मोहब्बत का,
क्यों किसी और की मोहब्बत पर नज़रे खास रखते है
वो अपनी आँखों में मेरे इश्क़ का ख्वाब रखते है

समंदर में रहकर आग पर निगाह रखते है.. 
और शायरी के बहाने वो अपना दिल  इजहार रखते है…
और ये वो भी जानते है की ये टूटे दिल वालो की महफ़िल है जनाब, 
फिर यहाँ दिल जोड़ने के जज्बात रखते है..
वो अपनी आँखों में मेरे इश्क़ का ख्वाब रखते है…

वो अपने होठो पर हमेशा अपनी बात रखते है
भरी महफ़िल मैं मेरे लिए अपने जज़्बात रखते है..
और बन जाये जो हमारी शर्मिंदगी का सबब,
क्यों हमारे सामने ऐसे हालत रखते हैं
वो अपनी आँखों मैं मेरे इश्क़ का ख्वाब रखते है…

तुलना मैं मेरी वो सामने चाँद रखते है..
और अपने अल्फाजो की मेरी पेरो पर कायनात रखते है
और कोई तो समझाए इन्हे मुझसे दूर रहे,
क्यों जीने की उम्र मैं ज़हर की चाह रखते है
वो अपनी आँखों मैं मेरे इश्क़ का ख्वाब रखते है..



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