Tere Ishq Me Main Bin Phero Ke Suhagan Ho Gai Part 2 By Lovely Sharma
मेरी महफ़िलो कि शुरुआत तेरे
चर्चो से हो गई..
तू हो जवाब जिसका मैं हर वो सवाल हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
मैं धर्म कि पुराण, मैं मज़हब कि कुरान हो गई..
मैं मीरा सी बावरी, मैं मौला सी हाजी हो गई..
कतरा-कतरा इश्क़ जोड़कर एक मुकम्मल जवानी हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
मेरी हर एक ग़ज़ल तेरे नाम कि
तरन्नुम हो गई..
मेरे सांस के धागो में सिर्फ तेरे नाम कि माला हो
गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
फ़क्त तेरी आहट से बुझे से दिए
में जैसे एक लौ सी आ गई..
बंजर सी बस्ती थी मानो बरसो बाद कोई बहार आ गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
मैं गंगा सी पावन, मैं यमुना का बहता पानी हो गई..
बरसो बाद हो जो महासंगम उस संगम में रवानी हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
सब कुछ कहकर भी कुछ बात अधूरी
रह गई..
कुर्बत में रहकर भी वो रात अधूरी रह गई..
ना चाहते हुए भी मेरी खुशबू तेरी जैसी हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
मशहूर शहर में ढाई आखर कि
कहानी हो गई..
तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई..
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