Tere Gale Ka Til Mujhe Karta Ishara by Kanha Kamboj
हुस्न-ऐ-पर्दा, दिलनशी, दिलकश नज़ारा…
तेरी ज़ुल्फ़ घटा, तेरी आँखों में सरारा…
तेरे होंठ का तिल, तिल-तिल तड़पाता है,
तेरे गले का तिल मुझे करता इशारा…
सोच रहा था कि तुझे सोचते हुए सोचा ये,
जिसकी सोच हो तू वो सोचे ही ना दोबारा…
तेरा हाथ पकडे, तुझे हाल-ऐ-दिल बताये अपना,
तू शरमा के कहे, कान्हा हमपे बस हक़ है तुम्हारा..
Comments
Post a Comment
Thank You for Your Comment