Pyaar Nahi Hota Izzat Se Bada By Lovely Sharma
हीर-राँझा, लैला-मजनू आज इसमें एक कहानी और जुड़ जाएगी..
क्या पता था इश्क़, मोहब्बत, प्यार के हिस्से में एक दिन मौत भी आ जाएगी..
मैं कहानी के पन्ने
पलटती रही आखिर में कोरा कागज़ आ गया..
आज मेरे क़त्ल का
तमाशा देखने पूरा ज़माना आ गया..
ना हाफ़िज़ ने हिफाज़त
कि, ना राखी मेरे साईं ने..
मोहब्बत कि अर्ज़ी
डाली मैंने अली को थी और फाड़ दी भगवन ने..
वो हिन्दू मैं
मुसलमान हूँ, वो जाट मैं ब्राह्मण
हूँ, वो सिख मैं ईसाई हूँ..
उसका बाप मेरा वालिद
अलग है, मेरा मज़हब उसका धर्म
अलग है..
मेरी मोहब्बत कि मौत
कि वजह मेरी मोहब्बत ही बनी थी..
इज़्ज़त कि जंग में
सूली उस दिन मैं भी चढ़ी थी..
मेरे देवता मेरे
इश्क़ में हैवान बने थे..
तक़दीर ने मेरे कातिल
मेरे अपने ही चुने थे..
दलीले अदालत में आती
उससे पहले तक़दीर ने फैसला सुना दिया..
प्यार नहीं होता
इज़्ज़त से बड़ा इसी बात का मुकदमा चला दिया..
दूरियां अगर दिल कि
होती तो बातो से समझा लेते..
फासला तो सोच का था
उसको कैसे मिटा देते..
खुशियों के चूल्हे
पर समाज का वास्ता रखा था..
जात नाम का यज्ञ जला, आहुति तो हमें बनना था..
खून से लतपत ज़मीन का
वो हिस्सा पड़ा था..
मेरे महबूब ने वही
पर दम तोडा था..
कांपा तो खुदा का भी
अर्श होगा, जब मेरे दिल ने उन
सबको कोसा था..
बड़ी बैचैन रात थी वो, ज़माने के शोर में मेरी चीखे दबी थी..
मेरी आँखों के सामने
सफ़ेद चादर में लिपटी उसकी डोली चली थी..
मेरे बहुत चिल्लाने
पर भी वो इस बार मुड़ कर ना आया..
मेरे हिज्र कि
दास्तान इस बार मौत पे थमी थी..
जनाज़ा उसका अर्थी
मेरी चली थी..
उसके जिस्म में दफ़न
होकर रूह मेरी भी जली थी..
मेरी मोहब्बत का अंत
कुछ इस कदर हुआ, मेरी हार से उनकी
जीत बड़ी थी...
Comments
Post a Comment
Thank You for Your Comment