Main Bhi Ishq Naam Ke Jurm Me Khud Ko Shamil Karne Lagi Thi By Pooja Sonawane

Main Bhi Ishq Naam Ke Jurm Me Khud Ko Shamil Karne Lagi Thi By Pooja Sonawane


Main Bhi Ishq Naam Ke Jurm Me Khud Ko Shamil Karne Lagi Thi By Pooja Sonawane

 

की मत ढूंढ मेरे अल्फाज़ो में अब खुद की एहमियत तू..

क्यूंकि अब मेरी कलम तेरी बेवफाई नहीं, उसका प्यार लिखा करती है..

 

हमारी मुस्कराहट को वो कातिलाना कहते है..

अब क्या बताये उन्हें कातिलाना तो उनकी अदाएं है..

जिस पर हम बेवक़्त, बेवजह मुस्कुरा देते है..

 

ये इश्क़ बहुत निकम्मा है मेरे दोस्त ये आखिरी वक़्त तक तेरा साथ कभी नहीं देगा..

और तू घबरा मत आज तेरा कटा है, कल उसका भी कटेगा..

 

डरती थी इस मोहब्बत को गले लगाने से और उसके ज़िन्दगी में आते ही,

मैं इस मोहब्बत को जन्नत समझ बैठी थी..

हां मैं भी इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

दूसरों के प्यार भरे, दुख भरे Status देखकर ही शाम गुज़रा करती थी मेरी..

अब मैं भी घंटो-घंटो उसके साथ Chatting और Meeting में Busy होने लगी थी..

हां मैं भी इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

यूँ तो शौक नहीं था मुझे यूँ देर रात जागने का..

पर अब उसके Phone Call से ही मेरी वो रात हसीन होने लगी थी..

हां मैं भी इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

जो खुद को पसंद था वो सब करती थी पहले..

अब उसके पसंद के हिसाब से मैं चलने लगी थी..

अब दिन भर Online आने से पहले,

या फिर कोई Short Dress वाली Pic Post करने से पहले,

मैं उसका ख्याल करने लगी थी..

हां मैं भी अब इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

अब खुद को उसकी मशरूफा और उसको मेरा राजकुमार मैं समझने लगी थी..

अब कही भी कभी भी उसके ख्यालों में मन ही मन मैं मुस्कुराने लगी थी..

हां मैं भी अब इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

वैसे तो रसोई का और मेरा दूर-दूर का नाता था..

पर बस उसके एक फरमाइश के खातिर मैंने रसोई में कुछ बनाने की कोशिश की थी..

मैंने मेरी हाथो कि पहली जली हुई रोटी भी बस उसी के नाम कि थी..

हां मैं भी अब इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 

अब वो कुछ ज़्यादा बोले तो मेरा रूठ जाना फिर उसका मुझे मनाना..

मैं कुछ ज़्यादा बोलू तो उसका रूठ जाना,

फिर मेरा मनाने से पहले ही उसका Mood ठीक हो जाना..

अब दिन के शुरू होने के साथ, अब दिन के ख़त्म होने तक का,

सब कुछ उसके साथ Share करना..

इन सब कि मैं शिकार हो गई थी..

हां मैं भी इस इश्क़ नाम के जुर्म में खुद को शामिल करने लगी थी..

 



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