Long Distance Relationship By Rj Vashishth
Dear तुम
इन
सब
Massages के
बाद
शायद
मैं
तुम्हे
ये
कह
सकता
हूँ
की
अरे
ऐसा
नहीं
है
It's Just a Phase..
थोड़े दिनों,
थोड़े
महीनो
बाद
सब
कुछ
ठीक
हो
जायेगा
ऐसा
कह
सकता
हूँ..
But I Am Sorry, I
Can't Say This, उल्टा
मैं
तो
ये
कहूंगा
कि
मामला
इससे
भी
ज़्यादा
बिगड़
सकता
है..
अभी तो
Massages में
ये
सब
कहा
है,
क्या
पता
Silence के
बिना
भी
ये
कहा
जा
सकता
है..
शायद में
ऐसा
कहूंगा
पर
उसके
परे
एक
बात
है
जो
मैं
कहना
चाहूंगा..
Dear You, I और
Me, जब
हम
हुए
थे,
जब
Us हुए
थे
ये
बात
उससे
भी
पहले
कि
है..
तो चलो
कहानी
सुनाता
हूँ
हमारी
कहानी..
बेगानो के
शहर
में
खुद
कि
पहचान
ढूंढने
आया
था
मैं..
यहाँ जीना
मुश्किल
सा
है,
मेरी
जान
जनता
था
मैं..
अपना काम
ख़त्म
करके,
अपने
शहर
वापस
जाने
का
सोच
ही
रहा
था
मैं..
तभी तपाक
से
आई
Insta वाली
तुम्हारी
चिट्ठी
पढ़
के
मुस्कुराया
था
मैं..
22 मिनट
के
इंतज़ार
के
बाद
जब
Finally तुम्हे
देख
पाया
मैं..
आँखों में
चमक
और
रूहानी
मुस्कान
को
रोक
ना
पाया
मैं..
दो ही
पल
में
जाना
पहचाना
सा
अजनबी
तुम
में
कुछ
यूँ
खोया..
खुद कि
पहचान
बनाते-
बनाते
तुम्हे
अपनने
आप
में
पाया..
देखते ही
देखते
कब
वो
60 मिनट
गुज़र
गए
पता
ही
नहीं
चला..
एक ही
पल
में
अजनबी
सा
जोगी
कब
जाना
पहचाना
सा
हो
गया
पता
ही
नहीं
चला..
बाते जो
यहाँ
से
आगे
बढ़ने
वाली
थी
वो
कही
रुक
सी
गई..
मैं और
तुम
से
पहुँचती
ये
Train मुझी
से
झूट
सी
गई..
तुमने बिना
कहे
वह
मेरा
इंतज़ार
किया..
और मैंने
बिना
सोचे
वक़्त
पलटने
का
इंतज़ार
किया..
हां बीच-
बीच
में
मेरी
और
तुम्हारी
बाते
तो
होती
थी..
पर दिल
के
Week Connection में
सही
बाते
कही
खोती
थी..
ऐसा करते-
करते
मैं
और
तुम
हम
नहीं
थे
उसकी
आदत
होने
लगी..
रूह मेरी
तुम्हारे
बिना
ना
जाने
कहा
से
कहा
खोने
लगी..
अपने शहर
खुद
को
कहा
से
कहा
ढूंढ़
रहा
था
मैं..
किससे बात
करू,
किससे
बात
करू
का
जप
मन
में
लगा
रहा
था
मैं..
इतने में
एक
नाम
मेरी
Phonebook में
पाके
चमक
उठा
मैं..
कहीं ये
वो
तो
नहीं
वाला
गाना
डरते-
डरते
गुनगुना
उठा
मैं..
तेज़ तर्रार
धड़कनो
के
साथ
तुम्हे
Phone लगता
हूँ
मैं..
जाना पहचाना
सा
Hello सुनके
सुकून
से
मुस्कुराता
हूँ
मैं..
उसके बाद
बात
कहा
से
कहा
जाती
है
ये
पता
है
तुम्हे..
पर बीच
में
थोड़ा
सा
अंतर
क्या
आया
इस
बात
से
खता
है
तुम्हे..
अच्छा सच
बताऊ
तो
खता
मुझे
भी
इस
Long Distance से
है..
पर इससे
ज़्यादा
खता
तुम्हारे
मन
पे
आते
इस
Tension से
है..
अगर नहीं
होता
है
ना,
नहीं
संभालता
है
तो
बता
दो..
End कर
देंगे,
Relation को
नहीं
Distance को..
कुछ ना
कुछ
करके
Bend कर
देंगे,
End कर
देंगे
Relation को
नहीं
Distance को..
शायद मैं
तुम्हे
ये
कहता..
बस एक
ही
दरख्वास्त
है
सिर्फ
इस
अंतर
कि
वजह
से
दिल
के
अंतर
को
मत
बढ़ाना..
हो सके
तो
बिना
सोचे,
बिना
डरे
इन
कदमो
को
मेरे
तरफ
बढ़ाना..
गिरने सँभालने
का
ज़िम्मा
हम
एक
दूसरे
को
देते
रहेंगे..
बस एक
ही
सवाल
है
क्या
इसी
बात
से
आप
हमेशा
अपना
हाथ
मुझे
देते
रहेंगे...
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