Ghani Bhundi Sunave hai Maa by Chetna Balhara

Ghani Bhundi Sunave hai Maa by Chetna Balhara


Ghani Bhundi Sunave hai Maa by Chetna Balhara

 

तुझे अगर पसंद है मीठा तो मैं खीर बन जाउंगी

तुझे अगर पसंद है दोहे तो मैं कबीर बन जाउंगी

मोहब्बत है तो इज़हार में देरी कैसी,

तू बन के देख राँझा मैं हीर बन जाउंगी

 

बिखरे बाल देख जिद सँवारने की कर बैठे

जीत मेरी हो जिद हारने की कर बैठे

इश्क़ हुआ ही नया नया वाह क्या बात है,

हो गए हो मशहूर यार ये क्या कर बैठे

 

मंजिल मेरी तुमपर खत्म हो, अब सपना तुम्हें पाने का है

तुम्हें ख्याल बेशक ना हो, अब इंतज़ार तुम्हारे आने का है

लो हम ही गए तुम्हारे शहर तुमसे मिलने,

कांटे है राहगुजर में, अब इरादा तुम तक आने का है

 

दूर समंदर पास किनारे हो यार

खुला आसमान चाँद सितारे हो यार

और ये जो डर डर के कोशिश हाथ पकड़ने की कर रहे हो,

आहे हाय तुम कितने प्यारे हो यार

 

वो कह तू हमने बहकान लागरी

तू म्हारा पागल बनान लागरी

मैं सोती रहूं आके कह दे,

उठ जा ना वार होरी, देख माँ बुलान लागरी

 

फालतू चक्करा में पड़ना नी सिखाया

बड़ों ते अपने अकड़ना नी सिखाया

बात बड़ी हो तो खुद झुक जाया करूँ,

मेरी माँ ने मेरे ते लड़ना नी सिखाया

घर में सुनाके बाहर लाड लड़ावे है

माँ भी कमाल कर आवे है

दस बजे बोल के आठ बजे उठावे है

अच्छी तरह छेत के, और रोया ते और मरूंगी कहके चुप करावे है

माँ भी कमाल कर आवे है

रोटी एक मांगू दो पकडावे है

महारी खात्तर भूखी सो जावे है

माँ भी कमाल कर आवे है

म्हारे कोई हाथ ला दे उसते भिड़ आवे है

छोटी सी हम गलती कर दे घनी भुंडी सुनावे है

माँ भी कमाल कर आवे है

 

दूर जाऊं तेरे ते तेरा मुँह उतरा लागे है

छोरे तो कुर्ता काला ही पहना कर,

कसम ते घना सुथरा लगा है




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