Ek Shaks Beautiful Hindi Poem on Life by Pallavi Mahajan
मेरे चेहरे की हँसी को मेरी तबीयत ना समझ,
मै दिखाती वही हुँ, जो मै चाहती हुँ…
इस कशमकश मे जीये जा रही हुँ…
क्या चाहत है और क्या किये जा रही हुँ…
मुझको रुकना था थोड़ा, ठहरना था दो पल,
मगर दौड़ है तो चले जा रही हुँ…
इस कशमकश मे जीये जा रही हुँ…
क्या चाहत है और क्या किये जा रही हुँ…
सुकून चाहिये था मुझे घर मे मेरे,
मै जरूरत की चीजे भरे जा रही हुँ…
इस कशमकश मे जीये जा रही हुँ…
क्या चाहत है और क्या किये जा रही हुँ…
चाहत थी एक हमसफर की मुझे,
जो ता-उम्र मेरा साथ देता मगर,
मै जिससे भी मिलती हुँ आजकल,
बस बिछड़ने की बाते किये जा रही हुँ…
इस कशमकश मे जीये जा रही हुँ…
क्या चाहत है और क्या किये जा रही हुँ…
बस नफा की चिंता ना नुकसान नजर आता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
उसे शायरी का जुनून था,बाते खूब किया करता था…
मेहफिल मे रौनक उससे ही थी,बेफिक्र जिया करता था…
आज चल रही है जिंदगी तो बस चले जाता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
शायरी खंजर था उसका,था नज्मो की उसकी दिवाना जहाँ…
आज यहाँ अक्स उसका,वो छोड़ आया उसको वहाँ…
आज भी मुस्कुराता है,शायद वो जमाना याद आता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
वो भीड़ का ही हो गया जो दूर चलता था…
चुप सा अब वो रह गया,बातें खूब करता था…
अब उसे फुरसत नही,सुना अच्छा कमाता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
गर खुश है तो फिर गम है क्यो…
हासिल है सब फिर कम है क्यो…
क्यु सुकु नही है कैसी ये कमी है…
शायरी सुन कर औरो की एक शायर ताली बजाता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
उसकी हकीकत मालूम थी मुझे…
सोचा जरा राबता करे…
पूछे तो सही लिखता क्यो नही…
खुश है तो खुश दिखता क्यो नही…
याराना था पुराना तो जान गया मुझे…
कमबख्त मेरी आवाज पहचान गया मुझे…
हँस कर कहने लगा कैसी बात करते हो…
जबाब देना है तुम्हे,तुम सवाल करते हो…
मै तेरा ही शागिर्द हुँ,तूने सिखाया था…
मिलके लिखा करते थे,जमाना वो भी आया था…
इक दौड़ है अब जिंदगी,दौड़े हर कोई जाता है…
मोसकी तेरा जु्नून तु भी तो सुनने ही आता है…
इस मेहफिल में मुझे इक शख्स परेशान नजर आता है…
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