Aisa Nahi ki Chalna Chhod Diya By RJ Vashishth

Aisa Nahi ki Chalna Chhod Diya By RJ Vashishth


Aisa Nahi ki Chalna Chhod Diya By RJ Vashishth

 

थोड़ा सा थक जाता हूँ मैं इसलिए दूर निकलना छोड़ दिया है..

पर ऐसा नहीं है कि अब मैंने चलना छोड़ दिया है..

फासले अक्सर रिश्तो में अजीब सी दूरियां बढ़ा देते है..

पर ऐसा नहीं है कि अब मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया है..

हां ज़रा सा अकेला महसूस करता हूँ खुद को अपनों कि ही भीड़ में..

पर ऐसा नहीं है कि मैंने अपनापन ही छोड़ दिया है..

याद तो करता हूँ सभी को और परवाह भी कर लेता हूँ किसी किसी की..

पर कितनी करता हूँ ये सबको बताना छोड़ दिया है..

थोड़ा सा थक जाता हूँ मैं इसलिए दूर चलना छोड़ दिया है..

पर ऐसा नहीं है कि अब मैंने चलना ही छोड़ दिया है...




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