Pyaar Kya Hai By RJ Vashishth
बहुत Simple है ये प्यार..
आप किसी इंसान
को मिलो
और उसको
मिलते -मिलते..
जब आप खुद
को मिलते
हो ना वो है प्यार..
जब आप किसी
इंसान को जानो और उसको जानते-
जानते..
आप खुद को पहचानो शायद
वो है प्यार..
किसी की आँखों
में उनको
देखते- देखते..
जब आप अपने
आप को देखना शुरू
कर देते
हो ना शायद वो है प्यार..
किसी की आँखों
में आपके
लिए प्यार
है उस प्यार को पाके..
जब आपको खुद
के लिए
प्यार होना
शुरू हो जाये ना शायद वो है प्यार..
किसी के सामने
या पास
में बैठो
तो वक़्त
को भी ऐसा अगर
लगने लगे..
की ठीक है थोड़ी देर
और बैठ
जाते है शायद वो है प्यार..
और थोड़ी देर
बाद जब घडी देखो
तो आपको
और वक़्त
को..
दोनों को ऐसा
लगे कि इतना वक़्त
कहा गुज़र
गया पता
ही नहीं
चला शायद
वो है प्यार..
किसी के साथ
संबंध में
हो पर बंधन में
ना हो शायद वो है प्यार..
जब सामने वाले
से Judge होने का डर ना हो..
और सामने वाले
को Judge होने का डर ना हो शायद
वो है प्यार..
और आखिर में
जिसको आप कभी Define ना कर पाओ..
पर वो आपको
Define भी कर जाये और Fine
भी कर जाये वो
Feeling है प्यार..
शायद यही है प्यार...
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