International Men’s Day By RJ Vashishth
छोटे थे
तब
लड़का
होकर
लड़की
जैसे
ना
रोने
का
Pressure..
रोने में
भी
Gender Biasd बन
जाओ
उस
गलत
सीख
का
Pressure ..
Height, Body अच्छी
होनी
चाहिए
उसका
Pressure ..
वो हो
ना
हो
पर
Body का
वो
Part तो
बड़ा
होना
ही
चाहिए
उसका
Pressure ..
दाढ़ी मूछ
कि
खेत
असल
हो
उसका
Pressure..
माथे पे
LIfe Time अच्छी
फसल
हो
उसका
Pressure..
रोना आये
तो
आँखों
में
कचरा
चला
गया
है
वैसे
कहने
का
Pressure..
और अगर
खुल
के
रो
भी
लिया
तो
नामर्द
है
साला,
उस
कलंक
के
डर
का
Pressure..
GF के साथ Dinner पे जाओ तो Bill Pay करो,
Girl As Friend के
साथ
Dinner पे
जाओ
तो
भी
Bill Pay करो..
अरे भाई मेरी Salary कम है, Pocket Money नम है,
इस
नन्ही
सी
जान
पे
ज़रा
सा
तो
रेहम
करो..
बातो में
ज़रा
सी
नज़ाकत
है
मीठा
है
साला..
चाल में
अलग
सी
हरकत
है
मीठा
है
साला..
चलो ये
तो
अच्छा
है
कि
मीठा
कहा
यानी
मर्द
तो
कहा..
कुछ लोग
तो
उससे
भी
परे
है..
अरे दूसरे
लड़के
से
मार
खा
के
आ
गया
नामर्द
साला..
अरे लड़की
से
मार
खा
के
आ
गया
नामर्द
साला..
किसी भी
इंसान
के
पास
कुछ
होने
या
ना
होने
से
वो
मर्द
नहीं
बनता..
वो मर्द
बनता
है
अपने
Behavior से,
दुसरो
को
Respect करने
के
Attitude से..
कुछ लोगो
के
पास
Organ ना
होने
के
बावजूद
भी
वो
मर्द
होते
है..
और कुछ लोगो के पास Organ होने के बावजूद भी वो मर्द नहीं होते अपनी हरकतों कि वजह से..
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