Ab Wapis Mat Aana By RJ Vashishth
हाँ तो
कुछ
यूँ
हो
रहा
था..
मुझे उनसे
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
था..
अनजान थी
मैं
इस
इश्क़
के
अंजाम
से..
लेकिन जो
भी
हो
रहा
था
बहुत
खास
हो
रहा
था..
मुझे उनसे
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
था..
सुनो, यूँ
बीच
रास्ते
में
तो
तुम
मुझे
छोड़
के
चले
गए
हो..
पर तुम्हारी
इस
छोड़
जाने
की
अदा
पे
भी
मुझे
प्यार
आ
रहा
था..
मुझे तुमसे
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
था..
जानती हूँ
और
वाकिफ
हूँ
मैं
तुम्हारी
सारी
मजबूरियों
से..
पर सोचना
तो
ये
भी
है
ना
कि
इन
सब
कि
वजह
से
मेरा
वक़्त
मुस्तकिल
हो
रहा
था..
पर फिर
भी
मुझे
तुमसे
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
था..
लेकिन सुनो
एक
दरख़्वास्त
है
तुमसे
अब
जो
चले
गए
हो
यूँ
कायरों
कि
तरह..
तो वापस
मत
आना
उन
फकीरो
कि
तरह..
मैं तुम्हे
बद्दुआ
दू
ऐसा
कोई
इरादा
नहीं
है
मेरा..
लेकिन तुम्हे
भी
किसी
से
बेशुमार
इश्क़
होगा
ये
दावा
है
मेरा..
ना ही
तुम्हे
कुछ
बुरा
कहूँगी
और
ना
ही
कुछ
सुनाऊँगी..
बस इतना
है
कि
अगर
खुदा
के
घर
में
देर
है
अंधेर
नहीं..
तो एक
बात
तुम्हे
समझ
आएगी
ज़रूर
कि
शिद्दत
से
मोहब्बत
तुम्हे
भी
होगी
ज़रूर..
हाँ तो
कुछ
यूँ
हो
रहा
है..
मुझे अब
खुद
से
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
है..
आज भी
अनजान
हूँ
मैं
उस
अंजाम
से..
फिर भी
जो
भी
हो
रहा
है
बहुत
खास
हो
रहा
है..
मुझे अब
खुद
से
इश्क़
बेशुमार
हो
रहा
है..
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