Wo Aati Hai Mehfil Me Kisi Ki Bewafai Lekar by Goonj Chand

Wo Aati Hai Mehfil Me Kisi Ki Bewafai Lekar by Goonj Chand


Wo Aati Hai Mehfil Me Kisi Ki Bewafai Lekar by Goonj Chand

 

Wo Aati Hai Mehfil Me Kisi Ki Bewafai Lekar…

Aankho Mein Nami Aur Hothon Par Duhaai Lekar…

 

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर….

 

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर….

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर

और वो कुछ इस तरह हटाती है अपने चहरे से ज़ुल्फे,

जैसे अभी अभी उठी हो नींद से अंगड़ई लेकर….

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर….

 

उसे मैं देखता हूँ किसी के कंधे का सहारा लेकर

उसे मैं देखता हूँ किसी के कंधे का सहारा लेकर

वो गुजर जाती है मेरे सामने से किसी का किनारा लेकर

और उसे कुछ भी कहने से पहले मेरे लब ठर्राते है जनाब,

पर वो बहुत कुछ कह जाती है शायरी का बहाना लेकर

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर….

की वो लड़की खड़ी है अपने हाथो मे दगा का धागा लेकर

जिसके साथ मैं जीना चाहता हूँ वफ़ा का माँझा लेकर

और वो आज भी उस बेवफ़ा को याद करके रोने लगती है,

जो उसे कब का भूल चुका है किसी गैर का सहारा लेकर

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर….

 

आज तो प्यार का इजहार कर ही आऊँगा हाथों मे गुलाब लेकर

जब आएगी वो इस महफिल मे अपने नफरत की किताब लेकर….

और उसके दर्द और जख्मो को भरने की कोशिश करूँगा,

और फिर वो चाहे मुझे मना ही क्यू ना कर दे अपने चहरे पर झूठी मुस्कान लेकर

वो आती है महफिल मे किसी की बेवफाई लेकर

आखों मे नमी और होठों पर दुहाई लेकर….

 



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