Tere Ishq Main Bina Phero Ke Suhagan Ho Gai By Lovely Sharma

Tere Ishq Main Bina Phero Ke Suhagan Ho Gai By Lovely Sharma


Tere Ishq Main Bina Phero Ke Suhagan Ho Gai By Lovely Sharma

 

जो लफ्ज़ो में तोली जाये वो मोहब्बत नहीं होती..

इश्क़ तो एक पाक एहसास है...

 

तुझ तक पहुंचे जो राह, मैं उस राह की बंजारन हो गई..

तेरे इश्क़ में यारा, मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 

पुजू तुझे नमाज़ की तरह,आरती के जैसे पढ़ा है..

मैंने अपनी हर सांस को तेरे नाम से सांस लेते सुना है..

मैं रब की अरदास, मैं अली की अज़ान हो गई..

मैं हर पीर दरबार की भिखारन हो गई..

तेरे इश्क़ में मेरे यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 

सिया जैसे राम की, राधा बनी जो जैसे श्याम की..

शक्ति शिव की महारानी हो गई..

मैं हर उस इश्क़ की कहानी हो गई..

बनाया ताज महल जिसने मैं वो याद पुराणी हो गई..

तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 

ये जिस्म से उभर कर मेरी मोहब्बत रूहानी हो गई..

तेरे दिल के महल में जैसे राजा की रानी हो गई..

तेरे इश्क़ में यारा में बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 

मैं तेरी सारी बलाओं से तेरी रखवाली हो गई..

तेरे इश्क़ में यारा मैं बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 

ना लाल लिहाफ को ओढ़ा मैंने, ना गुलाल मांग में सजाया..

ना ही कोई सूत्र गले में तेरे नाम का बंधवाया...

मैं हर बंधन से परायी हो गई..

तेरे इश्क़ में यारा में बिन फेरो के सुहागन हो गई...

 



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