Rishta Na Hoya Mhara Par Sabte Keh Hai Lugai Se Meri by Chetna Balhara
अपनों से आज कोई रूठ कर आया है…
जरा देखो इस महफ़िल को शायद फिर एक आशिक़ टूट कर आया है…
ब्याह में आया एक छोरा बोल्या, बताओ ना जी कितनी फोटो लेउँ…
बाहर खड़ी मैं बोल पड़ी, अंदर तो आन दे बटेऊ…
तन्ने जाना है तो जा यार, मैं तेरी टेंशन थोड़ी हूँ…
नू कहरा जल्दबाज़ी किस बात की है तन्ने,
मका हैंग हो जाऊँ सैमसंग थोड़ी हूँ…
मोहब्बत अपने आप में ज़ालिम सरकार है…
फरेब लोगो के हाथ में सच्चे लोगो की पगार है…
और रहम ना खाओ ज़ालिमों हमे नुक्सान पहुँचाने में,
हम वो लोग है जिन्हे दर्द का खुमार है….
आज जो ये फ़िक्र मेरी कर रहे हो,
शायद दो दिनों का प्यार है…
और गुलदस्तों का शौक नहीं जो हमे थमा रहे हो,
हम जानते है मियां सारे फूल कांटेदार है…
अपनी मोहब्बत से कहा था हमने, कभी तुमसे मुलाकात हो यार…
आज देखा पता लगा सच में, वाहियात हो यार….
दिया तुम्हारा ज़ख़्म अब पुराना हो गया…
हाँ कोई अपना हमसे रवाना हो गया…
और आईने में देख तो लूँ तुम्हारे कहने पे खुद को,.
पर सच तो ये है अब खुद से मिले ज़माना हो गया…
जो चाहती नहीं थी बताना वो बयां कर डाला…
किस्सा तुमने कोई नया कर डाला…
मोहब्बत हुई है बता रहे हो सबको,
हम यही कहेंगे यार ये तुमने क्या कर डाला…
मेरे मांगे बिना पायल मंगवाई है मेरी…
बेशक रिश्ता ना होया महारा, पर सबते नहीं कह लुगाई है मेरी…
अपनी मेहनत ते म्हारा पेट भर जा है…
अपने घर की नी पुरे देश की परवाह कर जा है…
बड़ी मेहनत है रोटी में इसने नू मत ना फेंका करो…
किसान की कदर ना करन आलो थोड़ी शर्म करा करो…
हो फकर पुरे देश ने कोई ऐसा काम कर जाओ….
किसानो की इज्जत ना करन आलो जाओ डूब के मर जाओ…
मुझसे वो बातें घुमा रहा था…
थी कुछ बातें जो छुपा रहा था…
मोहब्बत थी या था ये खेल,
शायद इसी का जवाब दफना रहा था…
जान तो गयी थी मैं कि माजरा क्या है,
बिस्तर का वो हुलिया सब बता रहा था…
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