Mohabbat Laut Kar Aye Umra Guzar Jane Ke Baad by Monika Singh
कि नहीं जानती तेरी बातों में तिलिस्म है या जादू,
पर तेरी हर बात पे ऐतबार है मुझे…
नहीं जानती कि तेरी आँखे आइना है या समंदर,
पर इनमे डूब जाने की खवाहिश है मुझे…
नहीं जानती कि कितनी तपिश है तुम्हारे होंठो में,
पर इन्हे छूने की कसक है मुझे…
और मैं नहीं जानती कि तेरे साथ से मुझे मिलना क्या है और खोना क्या,
बस इस एहसास को पाने की तड़प है मुझे…
कि कहते हैं मोहब्बत सच्ची हो तो लौटकर आती जरूर हैं…
कहते हैं मोहब्बत सच्ची हो तो लौटकर आती जरूर हैं….
सफर में साथ छोड़ जाने वाले को याद सताती जरूर हैं…
पर क्या हो अगर मोहब्बत लौटकर आये भी तो उम्र गुजर जाने के बाद…
दिल के जिस कोने में सँभाल कर रखा था उसकी उस आखिरी याद को,
वो याद भी मिट जाने के बाद…
वो सफर जिसमे छोड़ गया था वो साथ तुम्हारा,
जब थाम चुका हो कोई और तुम्हारा हाथ…
ओर क्या हो के मोहब्बत लौटकर आये भी तो उम्र गुजर जाने के बाद…
अचानक हर रोज़ उसका चेहरा तुम्हारे सामने आने लगे…
नज़रें फिर उसी शख़्स का दीदार चाहने लगें…
जो भूल चुका है ना जाने कब का दिल वख्त - बेवखत फिर वहीं पहुँच जाने लगें…
और कुछ सोये से अरमान ना चाहते हुए भी उसके सपने सजाने लगें….
क्या हो अगर इस तरह से पूरी हो बरसों की वो अधूरी सी फ़रयाद….
के मोहब्बत लौटकर आये भी तो उम्र गुजर जाने के बाद…
जिंदगी के दोराहे पर तुम खुद को खड़ा पाओ -2
ना भूला सको उसे ना फिर उसे अपना बना पाओ…
वेबफा तुम नहीं पर वफ़ा भी ना निभा पाओ…
जब बाहों में कोई और हो ओर वाहिमा किसी ओर की चाह हो…
क्या सही क्या गलत सब जानते हो तुम…
क्या सही क्या गलत जानते हो तुम…
बस कम्बख़त दिल को ना समझा पाओ…
क्या हो अगर फिर से सांस लेनें लगे दिल में कभी वो एक ना मुकम्मल सी आस…
के मोहब्बत लौटकर आये भी तो उम्र गुजर जाने के बाद…
कल तक जिसे कद्र ना थी तुम्हारी वो आज अचानक हक़ जताने लगें -2
उसके हर झूठ से वाकिफ हो तुम पर बातें उसकी तुम्हें रिझाने लगीं…
सैकड़ों जख्मों को अनदेखा कर जब मुस्कान फिर होटों तक आने लगें…
वो गलियाँ जिनसे गुजरे जमाना हुआ वो फिर बुलाने लगें…
ओर क्या हो अगर इस तरह से हो जाये उस हमसफर से फिर से मुलाकात…
के मोहब्बत लौटकर आये भी तो उम्र गुजर जाने के बाद…
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