Hamare Paas To Achha Libas Bhi Nahi Hai Ismail Raaz
मेरी तन्हाई देखेंगे तो हैरत ही करेगे लोग…
मोहब्बत छोड़ देगे या मोहब्बत ही करेगे लोग…
मेहरबां हम पर हर एक रात हुआ करती थी…
आँख लगते ही मुलाकात हुआ करती थी…
हिज्र की रात है और आँख मे आँसू भी नही,
ऐसे मौसम में तो बरसात हुआ करती थी…
अब इस भरम में हर एक रात काटनी है मुझे…
के आने वाली तेरे साथ काटनी है मुझे…
तुझे दिलाना है एहसास अपने इस दुख का,
तु कुछ तो बोल तेरी बात काटनी है मुझे…
मुझे तुलु-ए-सहर की तसल्लियाँ मत दे,
अभी तो शब-ए-जुलमात काटनी है मुझे…
जरा सी देर को सकते मे आ गये थे हम…
के एक दूजे के रस्ते मे आ गये थे हम…
जो अपना हिस्सा भी औरो मे बांट देता है,
एक ऐसे शख्स के हिस्से मे आ गये थे हम…
दर्द ऐसा नजर अंदाज नही कर सकते…
जप्त ऐसा के हम आवाज नही कर सकते…
बात तो तब थी कि तू छोड़ के जाता ही नही,
अब तेरे मिलने पे हम नाज नही कर सकते…
तेरी मेहफिल मेरी शिरकत नही देखी जाती…
कई आँखो से ये सात नही देखी जाती…
तेरे हाथो की मशक्कत पर तरस आता है,
तेरी जुल्फो की शरारत नही देखी जाती…
जिंदगी बाइसे उम्मीद भी रुसवाई भी…
उसकी दहलीज तलक ले गयी भी लाई भी…
उसे तो देखते ही ढगमगा जाते है कदम,
और उस पर वो ले लेती है अंगडाई भी…
पढी है रात और कोई गम शनास भी नही है…
शराब खाने मे आधा गिलास भी नही है…
मै दिल को लेके कहाँ निकलू इतनी रात गये,
मकान उसका कही आस पास भी नही है…
यहाँ तो लड़कियाँ अच्छा सा घर भी चाहती है,
हमारे पास तो अच्छा लिबास भी नही है…
बात ऐसी भी भला आप मे क्या रखी है…
इक दिवाने ने जमी सर पे उठा रखी है…
इत्तेफाकन कही मिल जाये तो कहना उससे,
तेरे शायर ने बड़ी धूम मचा रखी है…
गिरा पढा के ना यूं तार तार कर मुझको…
मेरे हवाले की कर दे पुकार कर मुझको…
मेरी तलाश मे कौन आयेगा मेरे अंदर,
यही पर फेंक दिया जाये मार कर मुझको…
मै जितना कीमती हुं उतना बदनसीब हुं मै,
वो सो रहा है गले से उतार कर मुझको…
जिंदगी तुने सुलुक ऐसे किये साथ मेरे…
वो तो अच्छा है कि बांधे हुये है हाथ मेरे…
रोज मै लौटता हुं खुद मे नदामत के साथ,
रोज मुझको कही फेंक आते है जज्बात मेरे…
मै विरासत मे मिला था मेरे नाकद्रो को,
यानि मुमकिन नही मिल पाये निशानात मेरे…
मुझको सुनिये नजर अंदाज ना कीजिये साहब,
मेरे हालात से अच्छे है ख्यालात मेरे…
रुबरु तेरे बहुत देर बिठाया गया मै…
वज्द में आया नही वज्द मे लाया गया मै…
सिलसिला खत्म ना होगा ये दिल आजारी का,
इससे पेहले भी कई बार मनाया गया मै…
युं लगा सबने गवाही दी कि तू मेरा है,
जब तेरे नाम से बस्ती मे सताया गया मै…
मुझसे रस्ते मे ठहरने की अजीयत पूछो,
ठोकरे मार कर रस्ते से हटाया गया मै…
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