Bas Laal Khoon Hi To Hai by Pooja Sonawane
पीरियड्स,
Mensturation, माहवारी बहुत सारे नामों से नवाजा जाता है मुझे…
शर्मिंदगी चेहरे पर होती है, जब सरेआम बोला जाता है मुझे…
इन पांच दिनों में महीने के अपवित्र समझा जाता है मुझे…
"रीति रिवाज है दर्द सहना, हमने भी तो सहा है" ये कहके चुप कराया जाता है मुझे…
मंदिर जाना जैसे मेरा पाप समझा जाता है…
रसोई में कदम ना रखूं मैं, मुझे खाना अलग दिया जाता है…
आखिर दिक्कत क्या है, लाल खून ही तो है जो सबकी रगो में बहता है…
पर बहे अगर मेरी योनि से तो क्यों इसे अलग नजरिये से देखा जाता है…
आखिर दिक्कत क्या है?
इन पांच दिनों में महीने के सबकुछ सहना मुझे होता है…
दर्द से बेहाल होकर बहना मुझे होता है…
मुस्कुरा के तो सह रही हूँ मैं सबकुछ फिर क्यों तुम इसे बवाल बना रहे हो…
झिझक नहीं है मुझे लाल खून की मेरे, फिर क्यों तुम इसे शर्मिंदगी का एहसास बता रहे हो…
आखिर दिक्कत क्या है?
आखिर दिक्कत क्या है, लाल खून ही तो है जो आगे जाके संतान के जन्म का कारण बनता है…
उजाला तुम्हारे घर में इसी लाल खून से आता है…
ये निशान है तुम्हारे होने का तुम इतना ना बवाल करो…
खुलके ज़िकर करो यार इसका ताकि चुप्पी से कोई मासूम बेहाल ना हो…
अपने घरवालों को सेफ महसूस तुम भी करवा सकते हो…
अपनी माँ बहन बेटी को पैड्स खरीद के तुम भी दे सकते हो…
और बस लाल खून ही तो है ये सरेआम सबको तुम भी कह सकते हो…
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