Zindagi Jeene Chali Thi By Goonj Chand
तुझसे मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी..
बरसो पुराने अधूरे
पड़े ख्वाबो
को भूल
कर फिर
से नए ख्वाब बुनने
चली थी..
क्योकि तुझसे मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी...
ईलाज नहीं था मेरे जिस
दर्द का, किसी भी बाबा, doctor, हाकिम या पीर के पास..
आखिर में उसी
दर्द को अपने मर्ज़
की दवा
समझने चली
थी..
तुझसे
मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी...
पर भूल गई थी कि इश्क़ और गम, दोनों
एक ही सिक्के के दो पहलु
है..
पहले से जो गम मिला
था उसी
को दूसरे
से कुरेदने
चली थी..
तुझसे
मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी...
कुछ वक़्त बिता
तो खुद
को वापस
उसी मोड़
पर खड़ा
पाया..
जहाँ खुद के हाथो हारे
हुए कुछ
इंसानो से मैं मिली
थी..
क्योकि तुझसे मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी...
आखिर में गौर
से देखा
तो समझ
आया मुझे
सारा मसला..
ऐसा कुछ नया
नहीं था इस ज़िन्दगी
में, ये तो मैं
पहले भी जी चुकी
थी..
तुझसे
मिलने के बाद मैं ज़िन्दगी जीने चली थी।
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