Lo Aa Gaye Hum By Rj Vashishth
लो आ गए हम..
तुमसे नहीं
खुद
से
मिलने..
लो आ गए हम..
दूरियां थी
पर
पास
रहने
की
मजबूरियां
भी
थी..
वैसे तो
पूरी
थी
पर
दूसरी
धड़कन
के
बिना
ज़िन्दगी
अधूरी
सी
थी..
इसलिए लो आ गए हम..
नाराज़गी तो
थी
पर
आवाज़
सुनने
की
आराज़गी
भी
थी..
वैसे तो
फर्क
नहीं
पड़ा
था
पर
तुम
नहीं
थे
तो
लगा
मैं
किसी
नर्क
में
खड़ा
था..
इसलिए लो
आ
गए
हम..
तुमसे नहीं
खुद
से
मिलने..
लो आ गए हम..
मज़ा तो
था
छुपन
छुपाई
के
इस
खेल
में..
पर अकेले
छुपाने
का
खेल
कुछ
सज़ा
सा
था..
दिखता तो
था
आँखे
खुली
होने
से,
दिखता
तो
था..
पर रिश्ते
की
ठण्ड
और
जज़्बातो
की
गर्मी
से
सब
कुछ
धुंधला
सा
था..
इसलिए लो आ गए हम..
अब बस
कुछ
दरख्वास्त
है
तुमसे
अगर
मान
सको
तो..
दूर जाना
है
तो
चले
जाना
पर
हाथ
थाम
के
जाना..
रूठना है
तो
रूठ
जाना
पर
बीच-
बीच
में
बात
भी
करते
रहना..
रुलाना है
तो
रुला
भी
देना,
बाद
में
गंदे
से
Joke से
ही
सही
हसा
देना..
और आखिर
में
छोड़
के
जाना
हो
तो
मत
जाना,
अगर
हो
सके
तो
मत
जाना..
लो आ गए हम…
तुमसे नहीं हमसे मिलने…
लो आ गए हम…
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