Tumhe Afsos Rahega Meri Is Halat Ka by Kanha Kamboj

Tumhe Afsos Rahega Meri Is Halat Ka by Kanha Kamboj


Tumhe Afsos Rahega Meri Is Halat Ka by Kanha Kamboj

 

है वही एक ज़िम्मेदार बस इस हालत का…

चलो अब तो कर रहे है कारोबार इस हालत का…

गले लगकर कहा उसने कभी,

देखना तुम्हे रहेगा मलाल इस हालत का…

हालात देख बदली थी हालत अपनी,

अब तो हो गया हूँ तलबगार इस हालत का…

एक पागल बनना चाहता है मुझ पागल सा,

वो पागल भी कर रहा है इंतज़ार इस हालत का…

बड़े शौक से सुनाते हो किस्सा--बर्बादी,

तुम्हारे सर चढ़ गया है खुमार इस हालत का…

 

हमने एक मशवरा ये सोच कर दिया…

कुछ सोचिएगा जरूर ये सोच कर दिया…

मेरा दिल तो वैसे भी खिलौना है,

उनका दिल बहल जायेगा ये सोच कर दिया…

और अपना कहता है तो हिफाजत भी करेगा,

तुम्हे हक़ जताने का हक़ भी ये सोच कर दिया…

और कैसे दे दिया दिल अपना बिना सोचे समझे,

उन्होंने धोखा भी ये सोच कर दिया…

 



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