Kanha Wo Tumhari Gazal Se Nikal Jayegi by Kanha Kamboj

Kanha Wo Tumhari Gazal Se Nikal Jayegi by Kanha Kamboj


Kanha Wo Tumhari Gazal Se Nikal Jayegi by Kanha Kamboj

 

किसी शहर, किसी गली, किसी घर में रहो…

किसी बेखबर ने कहा मगर खबर में रहो…

मेरा खवाब टूट गया ख्वाब आसमानी देखकर,

मेरी नजर ने कहा अपनी हदें नजर में रहो…

बरसों से वीरान पड़ा है तो सलाह है तुम्हे,

बनाओ इसमें आशियाँ दिल के घर में रहो…

वो तुम्हारी ग़ज़ल से निकल जाएगी कान्हा,

अशआर लिखते हुए थोड़े सबर में रहो…

 

जंगल से एक शजर काट रहा हूं मैं

यानि किसी का घर काट रहा हूं मैं

आइने में दर्ज करता रहा हरकतें अपनी,

ये रात खुद से मिलकर काट रहा हूं मैं

मेरा चेहरा बता रहा था गुमानियत मेरी,

किसी बहरे ने कहा बात काट रहा हूं मैं

मेरा लालच खा गया कमाई सारी,

उगने से पहले ही जो फसल काट रहा हूं मैं

जब से पता लगा तुम्हारे ख्वाब किसी और को भी आते हैं,

तब से रात जैसे तैसे काट रहा हूं मैं

अपनी पहचान थोड़ी पर्दे में रखो कान्हा,

लिखकर ये पूरी गजल काट रहा हूं मैं।

 

मेरे गमो में मेरी हिस्सेदार नहीं लगती

ये लड़की मेरी कहानी का किरदार नहीं लगती

उसकी फ़िक्र करूँ तो हुकूमत बताती है,

यार ये लड़की मुझे समझदार नहीं लगती

और है जानना क्या बताती है अपने घर मुझे,

मगर मेरे घर से उसके घर की दीवार नहीं लगती…,

और मैं हकीकत जानता हूँ फिर भी छुपाती है बातें,

मुँह पर झूठ बोलती है यार ईमानदार नहीं लगती

और मुझे पकड़ लेती है खटिया उससे हिज्र की बात सुनकर,

यार वो मुझसे जुदा होकर भी बीमार नहीं लगती

और मुझे झुकना पड़ता है उसकी गलती के आगे,

गुनाह इतनी चालाकी से करती है गुनेहगार नहीं लगती

और फिजूल ही पढ़ रहे हो उसके हक़ में कलाम कान्हा,

तुम्हारी इन दुआओ की वो ज़रा भी हक़दार नहीं लगती

 

तू जरूरी है हर जरूरत को आजमाने के बाद

तू चलाना मर्जी अपनी मेरे मर जाने के बाद

है सितम ये भी कि हम उसे चाहते हैं,

वो भी इतना सितम ढाने के बाद

हो इजाजत तो तुझे छूकर देखूं,

सुना है मरते नहीं तुझे हाथ लगाने के बाद

वो रास्ते में मिली तो मुस्कुरा दिया देखकर,

बहुत रोया मगर घर जाने के बाद

है तौहीन मेरी जो तुम कर रही हो,

आवाज उठाई नहीं जाती सर झुकाने के बाद

कितनी पागल है मुझे मेरे नाम से पुकार लिया,

मुझे पहचानने से मुकर जाने के बाद

मुझसे मिलने आओगी ये वादा करो,

मुलाकात रकीब से हो जाने के बाद

वैसे हो बड़े बदतमीज तुम कान्हा,

किसी ने कहा अपनी हद से गुजर जाने के बाद

 



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