Uske Badan Ko Chhua Hai by Rahul Jain

Uske Badan Ko Chhua Hai by Rahul Jain


Uske Badan Ko Chhua Hai by Rahul Jain

 

तुफानो में मैने दिये जलते देखे है…

मैने बिन माँ बाप के बच्चे पलते देखे है…

 

जुदा हो रहे हो पर भुलो मत,मै तुम्हरा था कभी

तेरी बाहों में हमने भी वक्त गुजारा था कभी…

आईने के सामने बैठ कर इतना रोया हुँ,

आईना भुल गया ये शख्स मुस्कुराया था कभी…

 

जिंदगी भर साथ चलना था एक ही समत पर,

तुने वो वक्त आने नही दिया…

मुझे तुझसे शादी भी करनी थी,

लेकिन तुने ऐसा दिन आने नही दिया…

 

मेरे साथ तुम रहोगी तो सारी बलाए टल जायेगी…

तुझे छुना तो चाहता हुँ, लेकिन डर है उंगलियाँ जल जायेगी…

वैसे कोई बला भी अब मेरा क्या बिगाडेगी,

मेरी माँ की एक दुआ से सारी बलाए टल जायेगी…

 

तुम शायर कहते हो खुद को, तो एक शेर लिख कर बताओ…

अच्छा ये सब छोडो, तो फिर जाँन क्या था इतना बताओ…

 

जो वादे अधुरे रेह गये उन्हे क्यु नही निभाया

कैसे बताऊ कितना डराता है मुझे मेरा ही साया…

तेरी गर्दन के नीचे ये निशान कैसा है,

ये झूठा किसी ओर ने तुझे मुँह नही लगाया…

 

आसमान में आज ये कैसा धुंआ है

लगता है किसी ने ठंडे हाथ से उसके बदन को छुआ है…

मैने गोर करा है तेरे घर के फूल मुर्झा गये है,

मुझे डर है तेरी तबीयत को कुछ हुआ है…

 

मोहब्बत को बुरा क्यु कहु, जब किस्मत ही मेरी खराब है…

वो जा रही है, उसको जाने दो मेरे पास मेरी शराब है…

 

क्या सचमुच छोड गयी हो मुझे, बस इतना बता दो…

अगर ऐसा है, तो कोई के मेरा गला दबा दो…

देखो रात होने में ज्यादा वक्त नही बचा है,

इससे पेहले उसकी यादे रुलाए, तुम मुझे सुला दो…

 

युं तो तुझसे जुदा होकर पानी भी गले से उतरता नही,

लेकिन अगर तुम शराब ले आये हो,तो लाओ मुझे पिला दो…

अब कुछ शरीफ लोग पूछ रहे है,नशा कैसा होता है,

मै सब बताऊंगा,पेहले उससे गले तो मिलवा दो…

मैने खुद सुना है उसे मेरी मौत पर खुशी होगी,

तो फिर अब देख क्या रहे हो,आओ कोई मुझे जिंदा जला दो…

 

जो आँखे चुमती थी मुझे सुलाने के लिये

उसने ज्यादा देर नही की मुझे रुलाने के लिऐ…

कौन सा गुनाह किया मैने कोई तो बताए,

मुझे शराब पीनी पड रही है उसे भुलाने के लिऐ…

 

जब तक जिंदा हु सता लो मुझे,

अभी हर गुनाह माफ किया जायेगा…

बडा मुस्कुरा रहे हो मुझे तडपता देखकर,

तुम्हारा जन्नत में हिसाब किया जायेगा…

 

उसे भुलने की कोशिश तो करी, लेकिन भूल नही पाया…

आज फिर थक कर घर आया हु, इसलिए कुछ लिख नही पाया…

 

जिंदगी में मोहब्बत ही सब कुछ नही होती…

क्योकि सिर्फ मोहब्बत में कामयाब होना कामयाबी नही होती…

तुम्हे वो कामयाब बना सके ऐसी मोहब्बत करना,

कामयाबी देखकर की गयी मोहब्बत, मोहब्बत नही होती…

 

अपने हाथो से अपनी मैयत सजा ली हमने..

इश्क करने की सजा पा ली हमने…

माँ बाप सही केहते थे दूर रहो उससे,

करीब रेह कर कौन सी वफा पा ली हमने…

कुछ लोग पूछ रहे है कौन दिल जला है यहाँ, ये धुंवा कहाँ से उठा?

क्या बताऊ तेरी याद में फिर सिगरेट जला ली हमने…

 

शायद काफिर हो गया हु,

गीता कुरान की बाते सच्ची नही लगती…

वो जो वफा वफा चिल्ला रही है,

उसको कहो उसके मुँह से वफा की बात अच्छी नही लगती…

 

मोहब्बत को हर मजहब में इबादत कहा गया है….

मजनु की मौत को शहादत कहा गया है…

अब चाह कर भी उसको पा नही सकता,

मसला ये है वो शक्स किसी ओर की चाहत हो गया है…

 

मेरा मेरी सोच से झगडा हुआ है…

मेरी सोच ने अभी तक उसे पकडा हुआ है…

मै भगवान को पूजता हुं,और अल्लाह को भी मानता हुं,

फिर भी लोग केहते है लडका बिगडा हुआ है…

 

एक दफा जो गल्ती कर दो फिर वही गल्ती मत करना…

क्या मोहब्बत, ये गल्ती से भी मत करना…




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