Sukoon Ki Talash Mai by Pallavi Mahajan
सुकुन की तलाश मे तु फिरा इधर उधर…
था मगर जहाँ छिपा गयी नही वहाँ नजर…
तु सोचता रहा यही, तु सोचता रहा यही के एक दिन मिलेगा वो…
जब मिलेगा सब तुझे हाँ तभी दिखेगा वो…
तु छोड आया इक शहर, तु छोड आया इक शहर…
तु छोड आया इक गली जिंदगी के संग चला वो जिधर जिधर चली,
ये नयी सी थी जगह, ये नयी सी थी जगह आंसमां भी था नया..
तु उ्डा बोहोत मगर फिर जरा सा थक गया,
इस उडान ने तुझे, था यहा बोहोत दिया,
इस उडान ने तुझे, था यहा बोहोत दिया…
चाहतो को पर तेरी नया मकाम दिख गया…
तु फिर उडा ये सोच कर,तु फिर उडा ये सोच कर…
कि जो तलब थी अब तलक…
वो खत्म होगी ये वहाँ जहाँ दिखी है इक झलक…
तु फिर उडा ये सोच कर,तु फिर उडा ये सोच कर…
कि जो तलब थी अब तलक…
वो खत्म होगी ये वहाँ जहाँ दिखी है इक झलक…
लंबा ये सफर रहा, लंबा ये सफर रहा हौसला मगर रहा आ गया….
नजर में वो जो दूर ही से था दिखा,
एक शख्स था वहाँ, फेरे अपना मुँह खडा…
एक शख्स था वहाँ, फेरे अपना मुँह खडा…
उसके पास वो सुकु तुझे कभी ना जो मिला…
तुने उससे ये कहाँ तुने उससे ये कहाँ…
कि रास्ता कठिन रहा खुश मगर हुँ मै बहुत मुझे सुकु है मिल गया…
क्यु अंधेरा है यहाँ फेरे मुँह तु क्यु खडा चल सुकु को बाँट ले…
मै आदमी नही बुरा, फिर हुइ थी रोशनी,
फिर हुइ जो रोशनी, वहा नही था कोई भी…
हा मगर था आइना था आइने मे अक्स भी…
फिर हुइ जो रोशनी वहा नही था कोई भी…
हा मगर था आइना, था आइने मे अक्स भी…
वो अक्स था तेरा वहा, वो अक्स था तेरा वहा जो था सुकु लिये खडा…
हँस केहने ये लगा मै तुझ मे ही सदा रहा…
तो इंसान जिसकी उम्र गुजरी है सुकुन को तलाश्ते हुये ये सुन कर बौखला जाता है…
खुद से सवाल करता है कि क्या वो महज जुनुन था? क्या वो महज जुनुन था?
क्या पास मे सुकुन था? क्यु मुझे खबर ना थी क्या मुझ मे ही था ये कहीं?
इंसान को एसे देखकर वो सुकुन,वो अक्स उससे कहता है क्यु खुद से इतना लड रहा…
क्यु खुद से इतना लड रहा? जो चाहा तुने पा लिया अब समझ ये बात तु जो तुझसे…
मै हु कह रहा, दौड मे यहा सभी मुझे नही तलाशते नाम देते है कई, खाक पर है…
छानते दौड मे यहा सभी मुझे नही तलाशते नाम देते है कई, खाक पर है छानते…
मै दौड मे आराम हुँ मै दौड मे आराम हुँ मै खास ना हु आम हु…
हर किसी मे हु बसा,मै फिर भी सब का ख्वाव हु,आख मुंद तु अभी…
अभी खडा है तु जहाँ, मुस्कुरा के ढुढना मै तुझ भी छिपा हुआ…
जिंदगी जो थी तेरी चाहतो मे थी घिरी,जिंदगी जो थी तेरी चाहतो मे थी घिरी..
तीर्गी मे तु रहा तो मै तुझे दिखा नही…
जिंदगी जो थी तेरी चाहतो मे थी घिरी, तीर्गी मे तु रहा तो मै तुझे दिखा नही…
तु तीर्गी को काट दे, तु तीर्गी को काट दे, तु रोशनी को साथ ले,अब सुकु को…
खोज मत,है क्या सुकु ये जान ले? है क्या सुकु ये जान ले?
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