Kya Hai Maalik by Lovely Sharma

Kya Hai Maalik by Lovely Sharma


Kya Hai Maalik by Lovely Sharma

 

उधड़ा सा कोई खवाब है मालिक…

आँखों में शामिल बेहिसाब है मालिक…

कच्ची सी यादों में सजी,

कोरी सी कोई किताब है मालिक…

सर्द हवा और बादलों में रिसाव है मालिक…

तड़प है किसी के दिल की,

या बरसात का आगाज है मालिक…

सुर्ख है सबब दीद का,

ये कैसा झुकाव है मालिक…

इश्क़ है, मोहब्बत है या बस रुझान है मालिक…

हर्फ़--ग़ज़ल आजकल बिखरे है मेरे,

रूह दाद में आया ये कैसा घिसाव है मालिक…

पायाब दरिया में डूब गयी कल शाम को कोई नाव,

हर खबर तू क्यों होता बदनाम है मालिक…

और अखबार में इश्तिहार नहीं देता कोई जवानी का

फिर क्यों बाजारों में बेटी नीलाम है मालिक…

परिजात रूह मर चली किसी के इश्क़ में,

कारोबार मजहब का क्यों आबाद है मालिक…

तड़प कर बैठे है सवाल जहन में मेरे,

बता जवाब की क्या गुंजाईश है मालिक….

उधड़ा सा कोई खवाब है मालिक…

आँखों में शामिल बेहिसाब है मालिक…

 



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