Jhalli Si Ladki By Goonj Chand
ये story है
उस
लड़की
की
जो
अपनी
ही
धुन
में
गुनगुनाया
करती
थी..
'कुछ
तो
लोग
कहेंगे,लोगो
का
काम
है
कहना'
ऐसा
जुमला
भी
हमें
सुनाया
करती
थी..
उसका घर
अड्डा
हुआ
करता
था
हम
जैसे
दोस्तों
का,
बस
दारू
पर
बैन
लगाया
करती
थी..
और घर
ज़रा
सा
भी
गन्दा
देख
कर,
हम
सब
दोस्तों
की
फटकार
लगाया
करती
थी..
और तो
और
एक
के
हाथ
में
झाड़ू
देकर
दूसरे
से
पोछा
लगवाया
करती
थी..
पूरी modern होकर
भी
वो
रोज़
दिया
जलाया
करती
थी..
झल्ली थी
वो
दोस्त
हमारी
जो
हमें
सताया
करती
थी...
कमज़ोरी थे
बच्चे
उसकी,
बच्चो
से
प्यार
वो
करती
थी..
भरी दोपहरी
सड़क
पे
जा
वो
गरीबो
को
पढ़ाया
करती
थी..
कहती दुनिया
क्या
कहती
है,
मुझे
फर्क
नहीं
पड़ता
है..
आत्मा जिसकी
साफ़
होती
वो
किसी
से
नहीं
डरता
है..
गलत बात
पर
राज़ी
ना
हो,
सही
आवाज़
उठाया
करती
थी..
और बिना
डरे
किसी
बात
से
वो
अपनी
बात
बताया
करती
थी..
झल्ली थी
वो
दोस्त
हमारी
जो
हमें
सताया
करती
थी...
अपने मन
की
मालिक
थी
जो
मन
चाहे
वो
करती
थी..
दुनिया की
परवाह
नहीं
बस
माँ
पापा
से
डरती
थी..
कहती थी
कपड़ो
का
क्या
है,
ये
तो
बस
जिस्मानी
है..
और बुरखा
भी
नाकाम
सा
है
अगर
रूहों
में
नादानी
है..
छोटे कपडे
पहन
के
भी
वो
पाओ
बड़ो
के
छूती
थी..
झल्ली थी
वो
दोस्त
हमारी
जो
हमें
सताया
करती
थी...
कही खो
दिया
उसने
खुद
को
जो
हमें
संभाला
करती
थी..
ज़रा-ज़रा
सी
बातो
पे
जो
मुँह
को
बनाया
करती
थी..
अरसा हुआ
उसे
हसता
देख
जो
हमें
हसाया
करती
थी..
तन्हा रहती
है
आजकल
जो
महफ़िलो
की
शान
बढ़ाया
करती
थी..
छोडो अब
ये
मायूसी
तुम
पहले
जैसी
हो
जाओ..
और मरी
हुई
उस
झल्ली
लड़की
को
वापस
अब
ले
आओ..
बदल के
आखिर
खुद
को
तुमको,
ऐसा
क्या
मिल
पाया
है?
घोट गला
मर्ज़ी
का
अपनी
खुश
कौन
भला
रह
पाया
है..
याद करो
वो
जुमला
जो
तुम
हमें
सुनाया
करती
थी..
झल्ली थी
तुम
दोस्त
हमारी
जो
हमें
सताया
करती
थी।
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