Door Hokar Bhi Koi Door Nahi Hota by Goonj Chand
Kuch Rishton Ka Koi Mol Nahin Hota…
Door Hokar Bhi Koi Door Nahi Hota…
कुछ रिश्तो का कोई मोल नहीं होता…
दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
एहसास ही काफी है एक दूसरे में ज़िंदा रहने के लिए…
सिर्फ जिस्मों का पास होना ही ज़रूरी नहीं होता…
और दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
दो लोगो की खामोशियाँ भी बहोत कुछ कह देती है कभी कभी…
हर बार लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं होता…
दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
खुद को रोक लेती हूँ अक्सर में…
पर ये दिल है की रुकने का नाम नहीं लेता …
और दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
जानती हूँ वो मेरा नहीं है…
पर ये जानते हुए भी उसे पाने का हौसला मुझसे कम नहीं होता…
और दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
प्यार तो तेरी आँखों में भी दीखता है मुझे…
पर न जाने कियूं वो तेरे लफ़्ज़ों से कभी बयाँ नहीं होता…
दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
कुछ रिश्तो का कोई मोल नहीं होता…
दूर होकर भी कोई दूर नहीं होता…
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