Aye Dost By RJ Vashishth
ए दोस्त,
क्या
मैं
तुम्हे
दोस्त
कह
सकता
हूँ?
School के
पहले
दिन
मिले
थे..
रोते- रोते
सब
आये
थे
पर
तुम
अकेले
हस
रहे
थे..
उसी बात
से
मैं
रोते-
रोते
चुप
हुआ
था..
और वहीं
से
दोस्ती
का
पहला
Chapter शुरू
हुआ
था..
पढाई के
चोर,
हम
Loo Break के
बहाने
आधे
Lecture Bunk करते
थे..
Break में
5 का
Veg Puff और
5 का
Cola और
कहा
कोई
खर्चे
थे..
7 बजे
से
पहले
अगर
बारिश
होगी
तो
School में
नहीं
जायेंगे..
और उसी
की
छुट्टी
मिलते
ही
बारिश
में
जम
के
नहाएंगे..
Result के
दिन
किसका
कम
आएगा
उसपे
शर्त
लगती
थी..
पर अगर
उसका
ज़्यादा
आया
तो
ऐसा
सोच
कर
बहुत
फटती
थी..
मेरे सामने
शर्त
हार
के
जीतता
हमेशा
तू
ही
था..
कुछ नहीं
पढ़ा
यार
ऐसा
कहके
Topper बनता
तू
ही
था..
पहली बार
किसी
लड़की
को
देखते-
देखते
तुमने
मुझे
देख
लिया
था..
उसी के
सामने,
उसी
के
नाम
से
चिढ़ाने
का
ज़िम्मा
जैसे
तुमने
ले
लिया
था..
Teacher ने
जब
डांट
के
हमे
बाहर
खड़ा
किया
था..
Classroom से
ज़्यादा
बाहर
हमने
सीख
लिया
था..
आखिरी दिन
पे
जब
आखिरी
बार
हम
मिले
थे..
एक ही
Collage में
मिलने
के
वादे
हमने
किये
थे..
पर तब,
तब
शुरू
हुई
ज़िन्दगी
की
असली
Class..
अलग Collage में
Admission, No Same Class..
अरे कोई
ना,
अलग
Collage है
तो
क्या
हुआ,
भाई
हर
week मिलते
रहेंगे..
पर सच
बता
ए
दोस्त,
और
कितना
खुद
को
ठगते
रहेंगे..
पहले मिलके
Plan बनाते
थे,
अब
मिलने
का
Plan बनता
है..
ज़िन्दगी का
ये
Part, School में
कहा
कोई
सिखाता
है..
नयी Job, नए
Phone और
नया
प्यार
पाके
करते
रहते
है
Boast..
पर इन
सब
में
कहा
है
वो
मेरा
School वाला
झूठा
दोस्त..
ए दोस्त
क्या
मैं
तुम्हे
अब
भी
दोस्त
कह
सकता
हूँ...
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