Aaj Tere Bina Hi Baarish Mein Bhig Rahi Hun by Goonj Chand

Aaj Tere Bina Hi Baarish Mein Bhig Rahi Hun by Goonj Chand

Aaj Tere Bina Hi Baarish Mein Bhig Rahi Hun by Goonj Chand

कि बारिश हो रहीं हैं मैं खिड़की से देख रही हूँ…

और ये पैगाम जो तुम मौसम के बहाने से मुझे भेज रहो हो…

ये मैं कितने सालों से तुम्हें भेज रही हूँ…

आज मैं फिर तुम्हारे बिना बारिश में भीग रही हूँ…

 

और जवाब मिल जाये तुम्हें जल्द से जल्द इस पैगाम का

इसलिए इस बारिश को तुम्हारे शहर वापिस भेज रही हूँ

और समझ जाओ तुम मेरे ज़ज्बातो को इस बार शायद

इसी उम्मीद में एक अर्से से जिंदगी बसर कर रही हूँ…

आज मैं तुम्हारे बिना इस बारिश में भीग रही हूँ…


मुझे लगता है कि इस बार तुम अपना जबाब किसी और तरीके से दोगे मुझे…

इसी उम्मीद से सुबह से अपना पुराना नंबर ढूंढ रही हूँ…

और बात करने की हिम्मत तो अभी भी नहीं कर पाओगे

ये जानती हूं मैं इसलिए उसी पुराने नंबर पर पुराना व्हाटसप भी ऑन कर रही हूँ…

आज मैं फिर से तुम्हारे बिना ही इस बारिश में भीग रही हूँ

 

हाँ पता है ये सब मेरे दिमाग के ख्याली पुलाव है

मैं जानती हूं ये सब मेरे दिमाग के ख्याली पुलाव है

मैं तो बस बेवजह खुश होना सीख रही हूँ…

और मोहब्बत तो आज भी सिद्दत से करती हू तुझसे

इसलिए तो बारिश का बहाना बना शायरी में सब कह रही हूँ

मैं आज फिर से तेरे बिना ही बारिश में भीग रही हूँ…

 

और शायद एक अच्छी रचना कर दी है मैंने आज बैठे बैठे

इसलिए इसे g talks पर अपलोड कर रही हूँ…

जी हा मैं आपके शेयर लाइक और कॉमेंटस का भी वेट कर रही हूँ…

 

कि बारिश हो रहीं हैं मैं खिड़की से देख रही हूँ…

और ये पैगाम जो तुम मौसम के बहाने से मुझे भेज रहो हो…

ये मैं कितने सालों से तुम्हें भेज रही हूँ…

आज मैं फिर तुम्हारे बिना बारिश में भीग रही हूँ…

 


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