2020 by Lovely Sharma
ख़ामोशी ओढ़कर मेरे सन्नाटे ने शोर मचा दिया…
खुदा ने देखो ये कैसा मंजर दिखा दिया….
इंसान को इंसान का दुश्मन बना दिया…
क़यामत होती है क्या ये सबको बता दिया…
कई चराग बुझे आंगन के, औलादें कई अनाथ हुई…
ऐसी उलटी घूमी जिंदगी, सांसे भी मुहाल हुई…
कहीं आग लगी, कही तूफ़ान आया, मजहब पे जंगी बार हुए…
दंगो में जलती देखी दिल्ली, इंसान ही हैवान हुए…
कही बिजली गिरी, कही बदल फटा, लाशो का अम्बार लगा…
दो गज दो गज दूरी बढ़ी, बाढ़ में सब बर्बाद हुआ…
देखते ही देखते सृष्टि का विनाश हुआ…
तांडव नाच ही हुआ था शायद जो इंसान का ऐसा हाल हुआ…
बस्ती ही उजड़ गयी किसी का शहर का शहर बर्बाद हुआ…
धरती घिसरी पैरों तले दर बदर इंसान हुआ….
आसमाँ में छायी थी बदली, कीड़ों का आतंक हुआ…
जो घर घर गए जान बचाने उनकी जान पे वार हुआ…
विज्ञानं लगी मरहम ढूंढने, इलाज़ का सत्यनाश हुआ…
आसमाँ में छायी थी बदली, कीड़ों का आतंक हुआ…
एक बवंडर ऐसा आया जो दुनिया को उजाड़ गया…
मरता दिखा मजदूर जमीन पे, भूख से बेहाल हुआ…
चुटकी भर में ही मानो बेघर सारा संसार हुआ…
आसमां के कई सितारे टूट के बिखर गए…
शेर-ऐ-हिन्दुस्तान वो शायर, राहत भी हमसे दूर गए…
हर दिन आते अखबारों में मौत की गिनती बढ़ती गयी…
जिस जगह देखा नजर घुमा के, बर्बादी ही दिखती गयी…
ईश्वर, अल्लाह, ईशा, नानक, सबका बंद दरबार हुआ…
जान मान की रही ना कीमत, शमशानों का अकाल हुआ…
एक साल में ही मनो जन्मो का नुक्सान हुआ…
जिंदगी में जिंदगी का जीना ही मुहाल हुआ…
लेकिन कहते है ना, इंसानियत हर बुरी चीज का अंत मिलकर करती है…
इसी साल में हमने कुछ ऐसा देखा जो पहले कभी नहीं हुआ…
ताली थाली बजती देखी, दीपदान का मान हुआ…
सफ़ेद चोलो में आये मसीहा, फूलो से सत्कार हुआ…
घर घर से बनके आयी रोटी, इंसानियत का नाम हुआ…
धर्म स्थापना हुई देश में, राम नाम हर धाम हुआ…
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