Ye Un Dino Ki Baat Hai Jab Hum Dost Hua Karte The by Goonj Chand

Ye Un Dino Ki Baat Hai Jab Hum Dost Hua Karte The by Goonj Chand

Ye Un Dino Ki Baat Hai Jab Hum Dost Hua Karte The by Goonj Chand

ये उन दिनों की बात थी जब हुई,

हमारी दोस्ती की शुरुआत थी

दोस्ती में कुछ रूल्स होते है

कुछ दोस्त कमीने

तो कुछ इमोशनल फूल होते है

एक दिन देर से आये तो स्कूल में उसके नाम से प्रेजेंट बोल देना,

और होमवर्क करके आये तो उसे अपनी नोटबुक दे देना

ये तो मानो जैसे हमारी दोस्ती के कंपल्सरी सब्जेक्ट हुआ करते थे

और शायद इसलिए हम अच्छे दोस्त हुआ करते थे

 

पर कहते है ना तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा,

हम दोनों की दोस्ती में एक लड़की बिन बुलाये चली आयी थी

और गुस्सा तो मुझे ये सुन के आया की उसने मुझे बिन बताये गर्लफ्रेंड बनायीं थी

कही ना कही मेरा दिल जल तो रहा था

पर उसकी खुशी के आगे मुझे कुछ दिख ही नहीं रहा था

 

पर कहते है ना वक़्त बदलने में वक़्त नहीं लगता

स्कूल था देर से पहुंचा तो कहने लगा, तुम टाइम पे आया करो

तुम्हारे बिना मेरा वक़्त ही नहीं कटता

मैंने कहा कियूं तुमने तो अब गर्लफ्रेंड बनाई है

तो तुम्हे कियूं मेरी याद आयी है

कहने लगा तू ये सब बाते छोड़,

तू ये बता तू हिंदी की गाइड लायी है..

मैंने कहा अच्छा तो तुझे इसलिए मेरी याद आयी है

फिर दिल के अरमानो पे पढ़ाई ने पानी डाल दिया

और मैंने हर बार की तरह इसबार भी बातो को बातो में ही टाल दिया..

 

फिर आया कहानी में ट्विस्ट जब मैंने उसे बताया,

की हम किसी दूसरी सिटी में शिफ्ट हो रहे है

मेरी इस बात ने उसे पागल सा कर डाला था

और उसने बिना सोचे समझे मुझे प्रोपोज़ कर डाला था

धत तेरि की मैं समझ ही नहीं पा रही थी

उसे इस सवाल का क्या जवाब दू

कियूं ना इन बातो को भी बातो-बातो में ही ताल दू

और मैंने वही किया ओह में मैथ्स की कॉपी घर भूल आयी हु..

चल तुझे कल मिलती हु आज वैसे ही देर से आयी हु

 

ऐसा कहके में वहा से निकल तो गयी तो गयी थी

पर इस सवाल का क्या जवाब दू, इस बात से में डर सी गयी थी

कही प्यार की वजह से हमारी दोस्ती टूट तो नहीं जाएगी

और इस पाक से रिश्ते की खुबसूरती कही खो तो नहीं जाएगी..

में ये सब कुछ सोच ही रही थी की इतने में अचानक से पीछे से,

एक कागज़ का जहाज़ आकर मेरे सर पर लगा

मैंने पीछे पलट कर देखा पर पीछे कोई नहीं था

मैंने उस पेपर को उठाया और किसी की मस्ती समझ कर,

जैसी ही उसे फेकने लगी तो देखा, उसपर कुछ लिखा हुआ था

तो मैंने उसे खोल कर देखा और जैसी ही मैंने उसे पड़ा..

मानो मेरी अंदर की उथल-पुथल सब शांत सी हो गयी

और मुझे समझ ही नहीं रहा था

की वो सब पढ़ के मुझे खुश होना चाहिए

या मुझे कुछ और रियेक्ट करना चाहिए

कियुँकि उस कागज़ पे लिखा था

अप्रिलफूल बनाया बड़ा मज़ा आया

 

जी हाँ उस दिन अप्रैल की एक तारिक यानि अप्रिलफूल था

और उसने मुझे उल्लू बनाया था

में नहीं जानती की अगर में उसदिन उसे हाँ कर देती

तो हमारी ये दोस्ती रहती या नहीं रहती

पर हाँ जो होता है अच्छा होता है

दोस्ती में प्यार हमेशा ज़िंदा रहता है

पर प्यार में दोस्ती कही ना कही एक दिन खो ही जाती है

और अच्छा ही हुआ हम आज भी अच्छे दोस्त है

और हमारी दोस्ती को कई साल हो चुके है

वो आज भी अपने बच्चो को हमरी दोस्ती के किस्से सुनाता है

और जी हाँ वो आज भी अप्रैल की एक तारिक को मुझे उल्लू बनाता है

 



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