Meena Kumari’s Poem By RJ Vashishth
टुकड़े- टुकड़े दिन
बीते, धज्जी-
धज्जी रात
मिली..
जिसका जितना आँचल
था उतनी
ही सौगात
मिली..
रिमझिम- रिमझिम बूंदो
में ज़हर
भी है और अमृत
भी..
आँखे हस दी दिल रोया
ये अच्छी
बरसात मिली..
जब चाहा दिल
को समझे
हसके की आवाज़ सुनी..
जैसे कोई कहता
हो ले तुझको फिर
मात मिली..
माते कैसी, घाते
कैसी चलते
रहना आठ पहर..
दिल सा साथी
जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली..
होंठो तक आते-
आते जाने
कितने रूप
मरे..
जलती बुझती आँखों
में सादा
सी जो बात मिली..
टुकड़े- टुकड़े दिन
बीते, धज्जी-
धज्जी रात
मिली..
जिसका जितना आँचल
था उतनी
ही सौगात
मिली..
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